चक्रायुध: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) जम्बूद्वीप के चक्रपुर नगर के राजा अपराजित और उसकी रानी सुन्दरी का पुत्र । इसका पिता इसे राज्य देकर दीक्षित हो गया था । कुछ समय बाद इसने भी अपने भाई वज्रायुध को राज्य देकर पिता से दीक्षा ली थी और मोक्ष पद पाया था । तीसरे पूर्वभव में यह भद्रमित्र नामक सेठ, दूसरे पूर्वभव में | <p id="1"> (1) जम्बूद्वीप के चक्रपुर नगर के राजा अपराजित और उसकी रानी सुन्दरी का पुत्र । इसका पिता इसे राज्य देकर दीक्षित हो गया था । कुछ समय बाद इसने भी अपने भाई वज्रायुध को राज्य देकर पिता से दीक्षा ली थी और मोक्ष पद पाया था । तीसरे पूर्वभव में यह भद्रमित्र नामक सेठ, दूसरे पूर्वभव में सिंहचन्द्र और पहले पूर्वभव में प्रीतिंकर देव था । <span class="GRef"> महापुराण 59.239-245, 316, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.89-93 </span></p> | ||
<p id="2">(2) राजा विश्वसेन और रानी यशस्वती का पुत्र । थे तीर्थंकर शान्तिनाथ के साथ ही दीक्षित होकर उनके प्रथम गणधर हुए । ये पूर्वांग के पारदशी विद्वान् थे । आयु के अन्त मे इन्होंने निर्वाणपद पाया था । महापुराण 63.414, 476, 489, 501, हरिवंशपुराण 60. 348 पांडवपुराण 5.115, 124-129 तेरहवें पूर्वभव में ये मगधदेश के राजा श्रीषेण की आनन्दिता नामक रानी थे । बारहवें पूर्वभव में उत्तरकुरु में आर्य, ग्यारहवें पूर्वभव में सौधर्म स्वर्ग में विमलप्रभ नामक देव, दसवें पूर्वभव में त्रिपृष्ठ नारायण के श्रीविजय नामक पुत्र, नवें पूर्वभव में तेरहवें स्वर्ग में मणिचूल नामक देव, आठवें पूर्वभव में वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी के राजा स्तिमितसागर के अनन्तवीर्य नामक पुत्र सातवें पूर्वभव में रत्नप्रभा नरक में नारकी, छठे पूर्वभव मे विजया के | <p id="2">(2) राजा विश्वसेन और रानी यशस्वती का पुत्र । थे तीर्थंकर शान्तिनाथ के साथ ही दीक्षित होकर उनके प्रथम गणधर हुए । ये पूर्वांग के पारदशी विद्वान् थे । आयु के अन्त मे इन्होंने निर्वाणपद पाया था । <span class="GRef"> महापुराण 63.414, 476, 489, 501, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 348 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 5.115, 124-129 </span>तेरहवें पूर्वभव में ये मगधदेश के राजा श्रीषेण की आनन्दिता नामक रानी थे । बारहवें पूर्वभव में उत्तरकुरु में आर्य, ग्यारहवें पूर्वभव में सौधर्म स्वर्ग में विमलप्रभ नामक देव, दसवें पूर्वभव में त्रिपृष्ठ नारायण के श्रीविजय नामक पुत्र, नवें पूर्वभव में तेरहवें स्वर्ग में मणिचूल नामक देव, आठवें पूर्वभव में वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी के राजा स्तिमितसागर के अनन्तवीर्य नामक पुत्र सातवें पूर्वभव में रत्नप्रभा नरक में नारकी, छठे पूर्वभव मे विजया के गगनवल्लभ नगर के राजा मेघवाहन के मेघनाद नामक पुत्र, पांचवें पूर्वभव में अमृत स्वर्ग में प्रतीन्द्र, चौथे पूर्वभव में वज्रायुध के पुत्र सहस्रायुध, तीसरे पूर्वभव में अधोग्रैवेयक मे अहमिन्द्र, दूसरे पूर्वभव में पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी के राजा घनरथ के दृढ़रथ नाम के पुत्र, और पहले पूर्वभव में ये अहमिन्द्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 62.153, 340, 358, 376, 411-414, 63.25, 28-29, 36, 45, 138-144, 336-337 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विद्याधरवंशी राजा चक्रधर्मा का पुत्र । यह चक्रध्वज का पिता था । महापुराण 5.50-51</p> | <p id="3">(3) विद्याधरवंशी राजा चक्रधर्मा का पुत्र । यह चक्रध्वज का पिता था । <span class="GRef"> महापुराण 5.50-51 </span></p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
(1) जम्बूद्वीप के चक्रपुर नगर के राजा अपराजित और उसकी रानी सुन्दरी का पुत्र । इसका पिता इसे राज्य देकर दीक्षित हो गया था । कुछ समय बाद इसने भी अपने भाई वज्रायुध को राज्य देकर पिता से दीक्षा ली थी और मोक्ष पद पाया था । तीसरे पूर्वभव में यह भद्रमित्र नामक सेठ, दूसरे पूर्वभव में सिंहचन्द्र और पहले पूर्वभव में प्रीतिंकर देव था । महापुराण 59.239-245, 316, हरिवंशपुराण 27.89-93
(2) राजा विश्वसेन और रानी यशस्वती का पुत्र । थे तीर्थंकर शान्तिनाथ के साथ ही दीक्षित होकर उनके प्रथम गणधर हुए । ये पूर्वांग के पारदशी विद्वान् थे । आयु के अन्त मे इन्होंने निर्वाणपद पाया था । महापुराण 63.414, 476, 489, 501, हरिवंशपुराण 60. 348 पांडवपुराण 5.115, 124-129 तेरहवें पूर्वभव में ये मगधदेश के राजा श्रीषेण की आनन्दिता नामक रानी थे । बारहवें पूर्वभव में उत्तरकुरु में आर्य, ग्यारहवें पूर्वभव में सौधर्म स्वर्ग में विमलप्रभ नामक देव, दसवें पूर्वभव में त्रिपृष्ठ नारायण के श्रीविजय नामक पुत्र, नवें पूर्वभव में तेरहवें स्वर्ग में मणिचूल नामक देव, आठवें पूर्वभव में वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी के राजा स्तिमितसागर के अनन्तवीर्य नामक पुत्र सातवें पूर्वभव में रत्नप्रभा नरक में नारकी, छठे पूर्वभव मे विजया के गगनवल्लभ नगर के राजा मेघवाहन के मेघनाद नामक पुत्र, पांचवें पूर्वभव में अमृत स्वर्ग में प्रतीन्द्र, चौथे पूर्वभव में वज्रायुध के पुत्र सहस्रायुध, तीसरे पूर्वभव में अधोग्रैवेयक मे अहमिन्द्र, दूसरे पूर्वभव में पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी के राजा घनरथ के दृढ़रथ नाम के पुत्र, और पहले पूर्वभव में ये अहमिन्द्र थे । महापुराण 62.153, 340, 358, 376, 411-414, 63.25, 28-29, 36, 45, 138-144, 336-337
(3) विद्याधरवंशी राजा चक्रधर्मा का पुत्र । यह चक्रध्वज का पिता था । महापुराण 5.50-51