जिनदेव: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) जिनधर्मोपदेशक एक जैन । इसने कृष्ण की तीसरी पटरानी जाम्बवती को उसकी पूर्व पर्याय में जब वह एक | <p id="1"> (1) जिनधर्मोपदेशक एक जैन । इसने कृष्ण की तीसरी पटरानी जाम्बवती को उसकी पूर्व पर्याय में जब वह एक गृहपत्यान्वय के श्रावक की पुत्री थी, सम्यक्त्व का उपदेश दिया था परन्तु मोह के उदय से वह सम्यग्दर्शन प्राप्त न कर सकी थी । 60.43-45 </p> | ||
<p id="2">(2) चम्पापुर के निवासी वैश्य वनदेव और उसकी पत्नी अशोकदत्ता का ज्येष्ठ पुत्र । यह जिनदत्त का अग्रज था । इसके कुटुम्बी इसका विवाह सुबन्धु सेठ की दुर्गन्धित शरीर वाली सुकुमारी नाम की पुत्री से करना चाहते थे किन्तु सुकुमारी की दुर्गन्ध का केप होते ही इसने सुव्रत नामक मुनिराज से दीक्षा धारण कर ली । छोटे भाई जिनदत्त को कुटुम्बियों की प्रेरणावश सुकुमारी से विवाह करना पड़ा था । महापुराण 72.241-248 देखें [[ जिनदत्त ]]</p> | <p id="2">(2) चम्पापुर के निवासी वैश्य वनदेव और उसकी पत्नी अशोकदत्ता का ज्येष्ठ पुत्र । यह जिनदत्त का अग्रज था । इसके कुटुम्बी इसका विवाह सुबन्धु सेठ की दुर्गन्धित शरीर वाली सुकुमारी नाम की पुत्री से करना चाहते थे किन्तु सुकुमारी की दुर्गन्ध का केप होते ही इसने सुव्रत नामक मुनिराज से दीक्षा धारण कर ली । छोटे भाई जिनदत्त को कुटुम्बियों की प्रेरणावश सुकुमारी से विवाह करना पड़ा था । <span class="GRef"> महापुराण 72.241-248 </span>देखें [[ जिनदत्त ]]</p> | ||
<p id="3">(3) मद्रिलपुर नगर के निवासी सेठ धनदत्त तथा उसकी स्त्री नन्दयशा का तीसरा पुत्र । महापुराण 70. 182-186, 71. 362 देखें [[ जिनदत्त ]]</p> | <p id="3">(3) मद्रिलपुर नगर के निवासी सेठ धनदत्त तथा उसकी स्त्री नन्दयशा का तीसरा पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 70. 182-186, 71. 362 </span>देखें [[ जिनदत्त ]]</p> | ||
<p id="4">(4) पुष्कलावती देश में विजयपुर नगर के मधुषेण वैश्य की पुत्री बन्धुयशा की सखी जिनदत्ता का पिता । महापुराण 71. 363-365</p> | <p id="4">(4) पुष्कलावती देश में विजयपुर नगर के मधुषेण वैश्य की पुत्री बन्धुयशा की सखी जिनदत्ता का पिता । <span class="GRef"> महापुराण 71. 363-365 </span></p> | ||
<p id="5">(5) एक सेठ । इसने अपनी धरोहर धनदेव सेठ को दी थी । धरोहर को न लौटाने के अपराध में धनदेव की जीभ निकाली गयी थी । महापुराण 46.274-275</p> | <p id="5">(5) एक सेठ । इसने अपनी धरोहर धनदेव सेठ को दी थी । धरोहर को न लौटाने के अपराध में धनदेव की जीभ निकाली गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 46.274-275 </span></p> | ||
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Revision as of 21:41, 5 July 2020
(1) जिनधर्मोपदेशक एक जैन । इसने कृष्ण की तीसरी पटरानी जाम्बवती को उसकी पूर्व पर्याय में जब वह एक गृहपत्यान्वय के श्रावक की पुत्री थी, सम्यक्त्व का उपदेश दिया था परन्तु मोह के उदय से वह सम्यग्दर्शन प्राप्त न कर सकी थी । 60.43-45
(2) चम्पापुर के निवासी वैश्य वनदेव और उसकी पत्नी अशोकदत्ता का ज्येष्ठ पुत्र । यह जिनदत्त का अग्रज था । इसके कुटुम्बी इसका विवाह सुबन्धु सेठ की दुर्गन्धित शरीर वाली सुकुमारी नाम की पुत्री से करना चाहते थे किन्तु सुकुमारी की दुर्गन्ध का केप होते ही इसने सुव्रत नामक मुनिराज से दीक्षा धारण कर ली । छोटे भाई जिनदत्त को कुटुम्बियों की प्रेरणावश सुकुमारी से विवाह करना पड़ा था । महापुराण 72.241-248 देखें जिनदत्त
(3) मद्रिलपुर नगर के निवासी सेठ धनदत्त तथा उसकी स्त्री नन्दयशा का तीसरा पुत्र । महापुराण 70. 182-186, 71. 362 देखें जिनदत्त
(4) पुष्कलावती देश में विजयपुर नगर के मधुषेण वैश्य की पुत्री बन्धुयशा की सखी जिनदत्ता का पिता । महापुराण 71. 363-365
(5) एक सेठ । इसने अपनी धरोहर धनदेव सेठ को दी थी । धरोहर को न लौटाने के अपराध में धनदेव की जीभ निकाली गयी थी । महापुराण 46.274-275