जीवन: Difference between revisions
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<p>स.सि./ | <p>स.सि./5/2-/288/13<span class="SanskritText"> भवधारणकारणायुराख्यकर्मोदयाद्भवस्थित्यादधानस्य जीवस्य पूर्वोक्तप्राणापानक्रियाविशेषाव्युच्छेदो जीवितमित्युच्यते। </span>=<span class="HindiText">पर्याय के धारण करने में कारणभूत आयुकर्म के उदय से भवस्थिति को धारण करने वाले जीव के पूर्वोक्त प्राण और अपानरूप क्रिया विशेष का विच्छेद नहीं होना जीवित है। (रा.वा./5/20/3/474/26); (गो.जी./जी.प्र./606/1062/15)।</span><br /> | ||
ध. | ध.14/5,6,16/13/2<span class="PrakritText"> आउआदिपाणाणं धारणं जीवणं।</span> =<span class="HindiText">आयु आदि प्राणों का धारण करना जीवन है।</span><br /> | ||
ध. | ध.13/5,5,63/333/11 <span class="PrakritText">आउपमाणं जीविदं णाम।</span>=<span class="HindiText">आयु के प्रमाण का नाम जीवित है।</span><br /> | ||
भ.आ./वि./ | भ.आ./वि./25/85/9 <span class="SanskritText">जीवितं स्थितिरविनाशोऽवस्थितिरिति यावत् ।</span>=<span class="HindiText">जीवन पर्याय के ही स्थिति, अविनाश, अवस्थिति ऐसे नाम हैं।</span></p> | ||
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Revision as of 21:41, 5 July 2020
स.सि./5/2-/288/13 भवधारणकारणायुराख्यकर्मोदयाद्भवस्थित्यादधानस्य जीवस्य पूर्वोक्तप्राणापानक्रियाविशेषाव्युच्छेदो जीवितमित्युच्यते। =पर्याय के धारण करने में कारणभूत आयुकर्म के उदय से भवस्थिति को धारण करने वाले जीव के पूर्वोक्त प्राण और अपानरूप क्रिया विशेष का विच्छेद नहीं होना जीवित है। (रा.वा./5/20/3/474/26); (गो.जी./जी.प्र./606/1062/15)।
ध.14/5,6,16/13/2 आउआदिपाणाणं धारणं जीवणं। =आयु आदि प्राणों का धारण करना जीवन है।
ध.13/5,5,63/333/11 आउपमाणं जीविदं णाम।=आयु के प्रमाण का नाम जीवित है।
भ.आ./वि./25/85/9 जीवितं स्थितिरविनाशोऽवस्थितिरिति यावत् ।=जीवन पर्याय के ही स्थिति, अविनाश, अवस्थिति ऐसे नाम हैं।