तत्: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>स.सि./ | <p>स.सि./1/2/8/3 <span class="SanskritText">तदिति सर्वनामपदम् । सर्वनाम च सामान्ये वर्तते। </span>=<span class="HindiText">‘तत्’ यह सर्वनाम पद है। और सर्वनाम सामान्य पद में रहता है। </span>(रा.वा./1/2/5/19/19); (ध.13/5,5,50/285/11) ध.1/1,1,3/132/4 <span class="SanskritText">तच्छब्द: पूर्वप्रक्रान्तपरामर्शी इति। </span>=<span class="HindiText">‘तत्’ शब्द पूर्व प्रकरण में आये हुए अर्थ का परामर्शक होता है।<br> | ||
</span>पं.ध./ | </span>पं.ध./312 <span class="SanskritText">‘तद् ...भावविचारे परिणामो...सदृशो वा। </span>=<span class="HindiText">तत् के कथन में सदृश परिणाम विवक्षित होता है। </span></p> | ||
<p class="HindiText"><strong> | <p class="HindiText"><strong>2. द्रव्य में तत् धर्म</strong>–देखें [[ अनेकान्त#4 | अनेकान्त - 4]]। | ||
</p> | </p> | ||
<p><strong> </strong></p> | <p><strong> </strong></p> | ||
[[ततक | | <noinclude> | ||
[[ ततक | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:त]] | [[ तत्त्व | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: त]] |
Revision as of 21:41, 5 July 2020
स.सि./1/2/8/3 तदिति सर्वनामपदम् । सर्वनाम च सामान्ये वर्तते। =‘तत्’ यह सर्वनाम पद है। और सर्वनाम सामान्य पद में रहता है। (रा.वा./1/2/5/19/19); (ध.13/5,5,50/285/11) ध.1/1,1,3/132/4 तच्छब्द: पूर्वप्रक्रान्तपरामर्शी इति। =‘तत्’ शब्द पूर्व प्रकरण में आये हुए अर्थ का परामर्शक होता है।
पं.ध./312 ‘तद् ...भावविचारे परिणामो...सदृशो वा। =तत् के कथन में सदृश परिणाम विवक्षित होता है।
2. द्रव्य में तत् धर्म–देखें अनेकान्त - 4।