तदुभयप्रायश्चित्त: Difference between revisions
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<p> प्रायश्चित्त के नौ भेदों में तीसरा भेद । इसमें आलोचना तथा प्रतिक्रमण दोनों से चित्त की शुद्धि होती है । हरिवंशपुराण 64.32-34</p> | <p> प्रायश्चित्त के नौ भेदों में तीसरा भेद । इसमें आलोचना तथा प्रतिक्रमण दोनों से चित्त की शुद्धि होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 64.32-34 </span></p> | ||
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Revision as of 21:41, 5 July 2020
प्रायश्चित्त के नौ भेदों में तीसरा भेद । इसमें आलोचना तथा प्रतिक्रमण दोनों से चित्त की शुद्धि होती है । हरिवंशपुराण 64.32-34