दर्शशुद्धि: Difference between revisions
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<p> एक व्रत इसमें औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिक इन त्रिविध सम्यग्दर्शनों के नि:शंकित आदि आठ अंगों फी अपेक्षा चौबीस उपवास किये जाते हैं । एक उपवास और एक पारणा करने से यह व्रत अड़तालीस दिन में पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण 34. 98</p> | <p> एक व्रत इसमें औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिक इन त्रिविध सम्यग्दर्शनों के नि:शंकित आदि आठ अंगों फी अपेक्षा चौबीस उपवास किये जाते हैं । एक उपवास और एक पारणा करने से यह व्रत अड़तालीस दिन में पूर्ण होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34. 98 </span></p> | ||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
एक व्रत इसमें औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिक इन त्रिविध सम्यग्दर्शनों के नि:शंकित आदि आठ अंगों फी अपेक्षा चौबीस उपवास किये जाते हैं । एक उपवास और एक पारणा करने से यह व्रत अड़तालीस दिन में पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण 34. 98