द्रव्यानुयोग: Difference between revisions
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<p> श्रुतस्कन्ध का चतुर्थ अनुयोग । इसमें प्रमाण, नय, निक्षेप तथा सत् संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, भाव, अल्पबहुत्व, निर्देश स्वामित्व, साधन, अधिकरण, स्थिति और विधान के द्वारा द्रव्यों के गुण, पर्याय और भेदों का तात्त्विक वर्णन रहता है । महापुराण 2.101 </p> | == सिद्धांतकोष से == | ||
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<p> श्रुतस्कन्ध का चतुर्थ अनुयोग । इसमें प्रमाण, नय, निक्षेप तथा सत् संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, भाव, अल्पबहुत्व, निर्देश स्वामित्व, साधन, अधिकरण, स्थिति और विधान के द्वारा द्रव्यों के गुण, पर्याय और भेदों का तात्त्विक वर्णन रहता है । <span class="GRef"> महापुराण 2.101 </span></p> | |||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें अनुयोग - 1।
पुराणकोष से
श्रुतस्कन्ध का चतुर्थ अनुयोग । इसमें प्रमाण, नय, निक्षेप तथा सत् संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, भाव, अल्पबहुत्व, निर्देश स्वामित्व, साधन, अधिकरण, स्थिति और विधान के द्वारा द्रव्यों के गुण, पर्याय और भेदों का तात्त्विक वर्णन रहता है । महापुराण 2.101