धर्मकथा: Difference between revisions
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<p> धर्म से सम्बन्ध रखने वाली कथा । यह चार प्रकार की होती है― आक्षेपिणी, निक्षेपिणी, संवेदिनी और निर्वेदिनी, । इसके सात अंग होते हैं― द्रव्य, क्षेत्र, तीर्थ, काल, भाव, महाफल और प्रकृत । सातवें प्रकृत अंग के द्वारा शेष छ: अंगों का इसमें प्रतिपादन हो जाता है । प्रकृत अंग में निर्ग्रन्थ सन्तों और त्रेसठशलाका महापुरुषों के चरितों, भवान्तरों आदि का और लौकिक तथा आध्यात्मिक वैभव का वर्णन समाहित होता है । <span class="GRef"> महापुराण 1.107, 122, 135-136, 62.11-14, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.77-81 </span></p> | |||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें कथा ।
पुराणकोष से
धर्म से सम्बन्ध रखने वाली कथा । यह चार प्रकार की होती है― आक्षेपिणी, निक्षेपिणी, संवेदिनी और निर्वेदिनी, । इसके सात अंग होते हैं― द्रव्य, क्षेत्र, तीर्थ, काल, भाव, महाफल और प्रकृत । सातवें प्रकृत अंग के द्वारा शेष छ: अंगों का इसमें प्रतिपादन हो जाता है । प्रकृत अंग में निर्ग्रन्थ सन्तों और त्रेसठशलाका महापुरुषों के चरितों, भवान्तरों आदि का और लौकिक तथा आध्यात्मिक वैभव का वर्णन समाहित होता है । महापुराण 1.107, 122, 135-136, 62.11-14, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.77-81