धवल सेठ: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
कौशाम्बी नगर का एक सेठ था। सागर में जहाज रुक गया तब एक मनुष्य को बलि देने को तैयार हो गया। तब श्रीपाल ने जहाज चलाया। मार्ग में चोरों ने उसे बांध लिया। तब श्रीपाल ने उसे छुड़ाया। इतने उपकारी उसी श्रीपाल की स्त्री रैनमंजूषा पर मोहित होकर उसे सागर में धक्का दे दिया। एक देव ने रैन मंजूषा की रक्षा की और सेठ को खूब मारा। पीछे श्रीपाल का संयोग होने पर उससे क्षमा मांगी। (श्रीपाल चरित्र) | |||
[[धवल | | <noinclude> | ||
[[ धवल | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:ध]] | [[ धवला | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: ध]] |
Revision as of 21:42, 5 July 2020
कौशाम्बी नगर का एक सेठ था। सागर में जहाज रुक गया तब एक मनुष्य को बलि देने को तैयार हो गया। तब श्रीपाल ने जहाज चलाया। मार्ग में चोरों ने उसे बांध लिया। तब श्रीपाल ने उसे छुड़ाया। इतने उपकारी उसी श्रीपाल की स्त्री रैनमंजूषा पर मोहित होकर उसे सागर में धक्का दे दिया। एक देव ने रैन मंजूषा की रक्षा की और सेठ को खूब मारा। पीछे श्रीपाल का संयोग होने पर उससे क्षमा मांगी। (श्रीपाल चरित्र)