निक्षेपिणी: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) अर्ककीर्ति के पुत्र अमिततेज ने अन्य अनेक विद्याओं के साथ यह विद्या भी सिद्ध की थी । महापुराण 62.391-400</p> | <p id="1"> (1) अर्ककीर्ति के पुत्र अमिततेज ने अन्य अनेक विद्याओं के साथ यह विद्या भी सिद्ध की थी । <span class="GRef"> महापुराण 62.391-400 </span></p> | ||
<p id="2">(2) चतुर्विध कथाओं में एक प्रकार की कथा । इसमें अपने पक्ष का प्रतिपादन किया जाता है । पद्मपुराण 106-92</p> | <p id="2">(2) चतुर्विध कथाओं में एक प्रकार की कथा । इसमें अपने पक्ष का प्रतिपादन किया जाता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106-92 </span></p> | ||
Revision as of 21:42, 5 July 2020
(1) अर्ककीर्ति के पुत्र अमिततेज ने अन्य अनेक विद्याओं के साथ यह विद्या भी सिद्ध की थी । महापुराण 62.391-400
(2) चतुर्विध कथाओं में एक प्रकार की कथा । इसमें अपने पक्ष का प्रतिपादन किया जाता है । पद्मपुराण 106-92