नित्यमह: Difference between revisions
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
चतुर्विध अर्हत्पूजा का प्रथम भेद । इसका अपर नाम सदार्चन है । इस पूजा में प्रतिदिन अपने घर से गन्ध, पुष्प और अक्षत आदि लेकर जिनालय में जिनेन्द्र की पूजा करना, भक्तिपूर्वक अर्हन्तदेव की प्रतिमा की प्रतिष्ठा करवाना और मन्दिर का निर्माण कराना, दानपत्र लिखकर ग्राम, खेत आदि का दान देना तथा शक्ति के अनुसार नित्य दान देते हुए महामुनियों की पूजा करना सम्मिलित है । महापुराण 38.26-29