निषद्या परीषह: Difference between revisions
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स.सि./ | स.सि./9/9/423/7 <span class="SanskritText">स्मशानोद्यानशून्यायतनगिरिगुहागह्वरादिष्वनभ्यस्तपूर्वेषु निवसत आदित्यप्रकाशस्वेन्द्रियज्ञानपरीक्षितप्रदेशे कृतनियमक्रियस्य निषद्यां नियमितकालामास्थितवत: सिंहव्याघ्रादिविविधभीषणध्वनिश्रवणान्निवृत्तभयस्य चतुर्विधोपसर्गसहनादप्रच्युतमोक्षमार्गस्य वीरासनोत्कुटिकाद्यासनादविचलितविग्रहस्य तत्कृतबाधासहनं निषद्या परिषहविजय इति निश्चीयते। </span>=<span class="HindiText">जिनमें पहले रहने का अभ्यास नहीं किया है ऐसे श्मशान, उद्यान, शून्यघर, गिरिगुफा और गह्वर आदि में जो निवास करता है, आदित्य के प्रकाश और स्वेन्द्रिय ज्ञान से परीक्षित प्रदेश में जिसने नियम क्रिया की है, जो नियत काल निषद्या लगाकर बैठता है, सिंह और व्याघ्र आदि की नाना प्रकार की भीषण ध्वनि के सुनने से जिसे किसी प्रकार का भय नहीं होता, चार प्रकार के उपसर्ग के सहन करने से जो मोक्षमार्ग से च्युत नहीं हुआ है, तथा वीरासन और उत्कटिका आदि आसन के लगाने से जिसका शरीर चलायमान नहीं हुआ है, उसके निषद्या कृत बाधा का सहन करना निषद्या परीषहजय निश्चित होता है। (रा.वा./9/9/15/610/22); (चा.सा./118/3)। </span> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
स.सि./9/9/423/7 स्मशानोद्यानशून्यायतनगिरिगुहागह्वरादिष्वनभ्यस्तपूर्वेषु निवसत आदित्यप्रकाशस्वेन्द्रियज्ञानपरीक्षितप्रदेशे कृतनियमक्रियस्य निषद्यां नियमितकालामास्थितवत: सिंहव्याघ्रादिविविधभीषणध्वनिश्रवणान्निवृत्तभयस्य चतुर्विधोपसर्गसहनादप्रच्युतमोक्षमार्गस्य वीरासनोत्कुटिकाद्यासनादविचलितविग्रहस्य तत्कृतबाधासहनं निषद्या परिषहविजय इति निश्चीयते। =जिनमें पहले रहने का अभ्यास नहीं किया है ऐसे श्मशान, उद्यान, शून्यघर, गिरिगुफा और गह्वर आदि में जो निवास करता है, आदित्य के प्रकाश और स्वेन्द्रिय ज्ञान से परीक्षित प्रदेश में जिसने नियम क्रिया की है, जो नियत काल निषद्या लगाकर बैठता है, सिंह और व्याघ्र आदि की नाना प्रकार की भीषण ध्वनि के सुनने से जिसे किसी प्रकार का भय नहीं होता, चार प्रकार के उपसर्ग के सहन करने से जो मोक्षमार्ग से च्युत नहीं हुआ है, तथा वीरासन और उत्कटिका आदि आसन के लगाने से जिसका शरीर चलायमान नहीं हुआ है, उसके निषद्या कृत बाधा का सहन करना निषद्या परीषहजय निश्चित होता है। (रा.वा./9/9/15/610/22); (चा.सा./118/3)।