परिग्रहपरिमाणुव्रत: Difference between revisions
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<p> क्षेत्र, वास्तु, धन, धान्य, दासी-दास, पशु, आसन, शयन, वस्त्र और भाण्ड इन दस प्रकार के परिग्रहों का लोभरूप पाप के विनाशनार्थ किसी निश्चित संख्या में परिमाण करना । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.45-47</p> | <p> क्षेत्र, वास्तु, धन, धान्य, दासी-दास, पशु, आसन, शयन, वस्त्र और भाण्ड इन दस प्रकार के परिग्रहों का लोभरूप पाप के विनाशनार्थ किसी निश्चित संख्या में परिमाण करना । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.45-47 </span></p> | ||
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क्षेत्र, वास्तु, धन, धान्य, दासी-दास, पशु, आसन, शयन, वस्त्र और भाण्ड इन दस प्रकार के परिग्रहों का लोभरूप पाप के विनाशनार्थ किसी निश्चित संख्या में परिमाण करना । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.45-47