परिदेवन: Difference between revisions
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
स.सि./6/11/329/2 संक्लेशपरिणामावलम्बनं गुणस्मरणानुकीर्तनपूर्वकं स्वपरानुग्रहाभिलाषविषय-मनुकम्पाप्रचुरं रोदनं परिदेवनम्। = संक्लेशरूप परिणामों के होने पर गुणों का स्मरण और दूसरे के उपकार की अभिलाषा, करुणाजनक रोना परिवेदन है। (रा.वा./6/11/6/519/31)।