पल्लव विधान व्रत: Difference between revisions
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<p class="HindiText">इस व्रत की विधि दो प्रकार से कही गयी है - लघु व बृहत्। लघु विधि - क्रमशः | <p class="HindiText">इस व्रत की विधि दो प्रकार से कही गयी है - लघु व बृहत्। लघु विधि - क्रमशः 1, 2, 3, 4, 5, 4, 3, 2, 1 इस प्रकार 25 उपवास एकान्तरा क्रम से करें। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप करें। (व्रत विधान संग्रह/पृ. 50) वर्द्धमान पुराण। <br /> | ||
<strong> | <strong>2. बृहत् विधि-बृहत् विधानसंग्रह/पृ.50</strong></p> | ||
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<p class="HindiText">मास </p></td> | <p class="HindiText">मास </p></td> | ||
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<p align="center" class="HindiText"> | <p align="center" class="HindiText">कृष्ण<br /> | ||
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उपवास<br /> | उपवास<br /> | ||
तिथि </p> | तिथि </p> | ||
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<td width="64" valign="top"><p align="center" class="HindiText"> | <td width="64" valign="top"><p align="center" class="HindiText">आश्विन<br /> | ||
कार्तिक<br /> | कार्तिक<br /> | ||
मंगसिर<br /> | मंगसिर<br /> | ||
पौष<br /> | पौष<br /> | ||
माघ<br /> | माघ<br /> | ||
फाल्गुन<br /> | |||
चैत्र<br /> | चैत्र<br /> | ||
वैशाख<br /> | वैशाख<br /> | ||
ज्येष्ठ </p> | |||
<p align="center" class="HindiText">आषाढ</p> | <p align="center" class="HindiText">आषाढ</p> | ||
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<p class="HindiText"><strong>कुल </strong>- | <p class="HindiText"><strong>कुल </strong>- 4 तेला; 7 बेला व 48 उपवास। <br /> | ||
नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करना चाहिए। (किशनसिंह क्रिया कोष)। </p> | नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करना चाहिए। (किशनसिंह क्रिया कोष)। </p> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
इस व्रत की विधि दो प्रकार से कही गयी है - लघु व बृहत्। लघु विधि - क्रमशः 1, 2, 3, 4, 5, 4, 3, 2, 1 इस प्रकार 25 उपवास एकान्तरा क्रम से करें। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप करें। (व्रत विधान संग्रह/पृ. 50) वर्द्धमान पुराण।
2. बृहत् विधि-बृहत् विधानसंग्रह/पृ.50
मास |
कृष्ण |
पक्ष |
शुक्ल
|
पक्ष |
आश्विन कार्तिकज्येष्ठ आषाढ
श्रावण भाद्र |
9,13 124,7,14 4,9,8,11 13-15 4,9,8,14 9-7
|
10-11
5-7 13-14
2,12 |
14 3,123,15 9-15 |
7-8
2-3
12-13 5-7 |
कुल - 4 तेला; 7 बेला व 48 उपवास।
नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करना चाहिए। (किशनसिंह क्रिया कोष)।