पादप्रधावन: Difference between revisions
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<p> पाद-प्रक्षालन । नवधा भक्तियों में तृतीय भक्ति । इसमें पात्र को पड़गाहने के पश्चात् उच्च आसन पर विराजमान करके उसके चरण धोये जाते हैं । महापुराण 20.86-7</p> | <p> पाद-प्रक्षालन । नवधा भक्तियों में तृतीय भक्ति । इसमें पात्र को पड़गाहने के पश्चात् उच्च आसन पर विराजमान करके उसके चरण धोये जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 20.86-7 </span></p> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
पाद-प्रक्षालन । नवधा भक्तियों में तृतीय भक्ति । इसमें पात्र को पड़गाहने के पश्चात् उच्च आसन पर विराजमान करके उसके चरण धोये जाते हैं । महापुराण 20.86-7