पीठिका: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विदेह क्षेत्र के जम्बूस्थल में निर्मित इस नाम का एक स्थान । यह मूल में 12, मध्य में 8, और अन्त में 4 कोस चौड़ी है । इसके नीचे चारों ओर छ: वेदिकाएँ है । यहाँ देवों के तीस योजन चौड़े और पचास योजन ऊँचे अनेक भवन निर्मित है । हरिवंशपुराण 5. 171-182</p> | <p id="1"> (1) विदेह क्षेत्र के जम्बूस्थल में निर्मित इस नाम का एक स्थान । यह मूल में 12, मध्य में 8, और अन्त में 4 कोस चौड़ी है । इसके नीचे चारों ओर छ: वेदिकाएँ है । यहाँ देवों के तीस योजन चौड़े और पचास योजन ऊँचे अनेक भवन निर्मित है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 171-182 </span></p> | ||
<p id="2">(2) महापुराण के प्रथम तीन पर्वों की विषयवस्तु । महापुराण 4.2 </p> | <p id="2">(2) <span class="GRef"> महापुराण </span>के प्रथम तीन पर्वों की विषयवस्तु । <span class="GRef"> महापुराण </span>4.2 </p> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
(1) विदेह क्षेत्र के जम्बूस्थल में निर्मित इस नाम का एक स्थान । यह मूल में 12, मध्य में 8, और अन्त में 4 कोस चौड़ी है । इसके नीचे चारों ओर छ: वेदिकाएँ है । यहाँ देवों के तीस योजन चौड़े और पचास योजन ऊँचे अनेक भवन निर्मित है । हरिवंशपुराण 5. 171-182
(2) महापुराण के प्रथम तीन पर्वों की विषयवस्तु । महापुराण 4.2