पुण्ययज्ञक्रिया: Difference between revisions
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<p> एक दीक्षान्वय क्रिया । इससे पुण्य को बढ़ाने वाली चौदह पूर्व विद्याओं का अर्थ-श्रवण होता है । महापुराण 38.64,39.50</p> | <p> एक दीक्षान्वय क्रिया । इससे पुण्य को बढ़ाने वाली चौदह पूर्व विद्याओं का अर्थ-श्रवण होता है । <span class="GRef"> महापुराण 38.64,39.50 </span></p> | ||
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
एक दीक्षान्वय क्रिया । इससे पुण्य को बढ़ाने वाली चौदह पूर्व विद्याओं का अर्थ-श्रवण होता है । महापुराण 38.64,39.50