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<p> समवसरण के अनेक स्तूपों में एक स्तूप । इसे देखकर लोगों को तत्त्वज्ञान हो जाता है । हरिवंशपुराण 57. 106</p> | <p> समवसरण के अनेक स्तूपों में एक स्तूप । इसे देखकर लोगों को तत्त्वज्ञान हो जाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57. 106 </span></p> | ||
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Revision as of 21:44, 5 July 2020
समवसरण के अनेक स्तूपों में एक स्तूप । इसे देखकर लोगों को तत्त्वज्ञान हो जाता है । हरिवंशपुराण 57. 106