प्रवीचार: Difference between revisions
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Revision as of 21:44, 5 July 2020
मैथुन । ज्योतिषी, भवनवासी, व्यन्तर और सौधर्म तथा ऐशान स्वर्ग के देव काय से, सानत्कुमार और माहेन्द्र स्वर्ग के देव स्पर्श मात्र से, ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर, लान्तव और कापिष्ट स्वयं के देव रूपमात्र से, शुक्र, महाशुक्र, शतार और सहस्रार स्वर्ग के देव शब्द से तथा आनत, प्राणत, आरण और अच्युत स्वर्ग के देव मन से प्रवीचार करते हैं । हरिवंशपुराण 3.162-166