प्रातिहार्य: Difference between revisions
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<p> तीर्थंकर प्रकृति कर्म के उदय से अभिव्यक्त अर्हन्त की विभूतियाँ । ये आठ होती हैं― 1. अशोकवृक्ष 2. तीन छत्र 3. सिंहासन 4. दिव्यध्वनि 5. दुन्दुभि 6. पुष्पवृष्टि 7. भामण्डल और 8. चौसठ चमर । <span class="GRef"> महापुराण 7.293-302, 42.45, 54.231, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 2.148-154, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.31-39, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 15.1-19 </span></p> | |||
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Revision as of 21:44, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें अर्हंत ।8।
पुराणकोष से
तीर्थंकर प्रकृति कर्म के उदय से अभिव्यक्त अर्हन्त की विभूतियाँ । ये आठ होती हैं― 1. अशोकवृक्ष 2. तीन छत्र 3. सिंहासन 4. दिव्यध्वनि 5. दुन्दुभि 6. पुष्पवृष्टि 7. भामण्डल और 8. चौसठ चमर । महापुराण 7.293-302, 42.45, 54.231, पद्मपुराण 2.148-154, हरिवंशपुराण 3.31-39, वीरवर्द्धमान चरित्र 15.1-19