प्रोष्ठिल: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| == सिद्धांतकोष से == | ||
<li> यह भाविकालीन नवें तीर्थंकर हैं । अपरनाम प्रश्नकीर्ति व उदंक है ।- | <ol> | ||
<li> श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम(श्रुतकेवली) के | <li> यह भाविकालीन नवें तीर्थंकर हैं । अपरनाम प्रश्नकीर्ति व उदंक है ।- देखें [[ तीर्थंकर#5.1 | तीर्थंकर - 5.1 ]]। </li> | ||
</ol | <li> श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम(श्रुतकेवली) के पश्चात् 11 अंग व दश पूर्वधारी हुए । आपका समय - वी. नि. 172-191. (ई.पू.355-336) दृष्टि नं. 3 के अनुसार वी.नि. 232-251. - देखें [[ इति#4.4 | इति - 4.4 ]]</li> | ||
</ol> | |||
[[प्रोषधोपवास | | <noinclude> | ||
[[ प्रोषधोपवास | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:प]] | [[ प्लक्ष | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: प]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<p id="1"> (1) एक मुनि । ये दन्तपुर नगर के निवासी वणिक वीरदत्त के दीक्षा-गुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 70.65-71 </span></p> | |||
<p id="2">(2) तीर्थंकर वर्द्धमान के पूर्वभव का जीव यह नन्द नामक राजकुमार का गुरु एवं उपदेशक था । <span class="GRef"> महापुराण 74.243, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 6. 230 </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | |||
<p id="3">(3) तीर्थंकर वर्द्धमान का पूर्वभव का पिता । <span class="GRef"> महापुराण 2029-30 </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | |||
<p id="4">(4) तीर्थङ्कर वर्द्धमान के पूर्वभव के गुरु । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 163 </span></p> | |||
<p id="5">(5) भविष्यत् कालीन स्वयंप्रभ चौथे तीर्थङ्कर के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> महापुराण 76.472 </span></p> | |||
<p id="6">(6) भविष्यत् कालीन नौवें तीर्थंकर । <span class="GRef"> महापुराण 76.478 </span></p> | |||
<p id="7">(7) दशपूर्वधारी मुनि । तीर्थंकर वर्द्धमान के मोक्ष जाने के पश्चात् हुए दशपूर्व और ग्यारह अंगधारी ग्यारह मुनियों में ये दूसरे मूनि थे । <span class="GRef"> महापुराण 2.141-145, 76.521, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.62, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47 </span></p> | |||
<noinclude> | |||
[[ प्रोषधोपवास | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ प्लक्ष | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: प]] |
Revision as of 21:44, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- यह भाविकालीन नवें तीर्थंकर हैं । अपरनाम प्रश्नकीर्ति व उदंक है ।- देखें तीर्थंकर - 5.1 ।
- श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम(श्रुतकेवली) के पश्चात् 11 अंग व दश पूर्वधारी हुए । आपका समय - वी. नि. 172-191. (ई.पू.355-336) दृष्टि नं. 3 के अनुसार वी.नि. 232-251. - देखें इति - 4.4
पुराणकोष से
(1) एक मुनि । ये दन्तपुर नगर के निवासी वणिक वीरदत्त के दीक्षा-गुरु थे । महापुराण 70.65-71
(2) तीर्थंकर वर्द्धमान के पूर्वभव का जीव यह नन्द नामक राजकुमार का गुरु एवं उपदेशक था । महापुराण 74.243, वीरवर्द्धमान चरित्र 6. 230 देखें महावीर
(3) तीर्थंकर वर्द्धमान का पूर्वभव का पिता । महापुराण 2029-30 देखें महावीर
(4) तीर्थङ्कर वर्द्धमान के पूर्वभव के गुरु । हरिवंशपुराण 60. 163
(5) भविष्यत् कालीन स्वयंप्रभ चौथे तीर्थङ्कर के पूर्वभव का जीव । महापुराण 76.472
(6) भविष्यत् कालीन नौवें तीर्थंकर । महापुराण 76.478
(7) दशपूर्वधारी मुनि । तीर्थंकर वर्द्धमान के मोक्ष जाने के पश्चात् हुए दशपूर्व और ग्यारह अंगधारी ग्यारह मुनियों में ये दूसरे मूनि थे । महापुराण 2.141-145, 76.521, हरिवंशपुराण 1.62, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47