मत्यनुपालन: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> क्षत्रियों का दूसरा धर्म-लोक परलोक संबंधी हिताहित ज्ञान का पालन करना । यह अविद्या के नाश से होता है । अविद्या मिथ्याज्ञान है तथा मिथ्याज्ञान अतत्त्वों में तत्त्वबुद्धि है और तत्त्व अर्हन्त-वचन है । महापुराण 4.24,31-33</p> | <p> क्षत्रियों का दूसरा धर्म-लोक परलोक संबंधी हिताहित ज्ञान का पालन करना । यह अविद्या के नाश से होता है । अविद्या मिथ्याज्ञान है तथा मिथ्याज्ञान अतत्त्वों में तत्त्वबुद्धि है और तत्त्व अर्हन्त-वचन है । <span class="GRef"> महापुराण 4.24,31-33 </span></p> | ||
Line 5: | Line 5: | ||
[[ मत्तजला | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ मत्तजला | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ मत्स | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: म]] | [[Category: म]] |
Revision as of 21:45, 5 July 2020
क्षत्रियों का दूसरा धर्म-लोक परलोक संबंधी हिताहित ज्ञान का पालन करना । यह अविद्या के नाश से होता है । अविद्या मिथ्याज्ञान है तथा मिथ्याज्ञान अतत्त्वों में तत्त्वबुद्धि है और तत्त्व अर्हन्त-वचन है । महापुराण 4.24,31-33