मथुरा: Difference between revisions
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<p> जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र की पाण्डवों द्वारा बसायी गयी नगरी । यह यमुना-तट पर स्थित है । राजा बृहद्ध्वज ने यहाँ शासन किया था । भोजकवृष्णि ने उग्रसेन को इसी मगरी का राज्य देकर निर्ग्रन्थ दीक्षा धारण की थी । कंस ने अपनी बहिन देवकी का विवाह वसुदेव के साथ इसी नगरी में किया था । यह सूरसेन देश की राजधानी थी । राजा उग्रसेन के पूर्व उसके पितामह सुवीर तथा भोजकवृष्टि यहाँ राज्य करते थे । कंस यहीं पैदा हुआ था । इसका अपर नाम मथुरा था । अन्तिम नारायण कृष्ण का जन्म भी यहीं हुआ था । राजा मधु को पराजित कर राजा दशरथ के पुत्र शत्रुघ्न ने भी यहाँ राज्य किया था । राजा रत्नवीर्य भी यहाँ का शासक रहा है । इसकी रानी मेघमाला से मेरु पुत्र भी यहाँ हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 70. 344, 357, 367, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 218-222, 89.1-117, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.162, 18.179, 27.135, 33.28-31, 47, 54.73, 79, 62.4, </span>पापू0 7. 142-144, 11. 65</p> | |||
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Revision as of 21:45, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == 1. भरत क्षेत्र का एक नगर–देखें मनुष्य - 4। भारत के उत्तरप्रदेश का प्रसिद्ध नगर मथुरा है और दक्षिण प्रदेश का प्रसिद्ध नगर ‘मदुरा’ है।
पुराणकोष से
जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र की पाण्डवों द्वारा बसायी गयी नगरी । यह यमुना-तट पर स्थित है । राजा बृहद्ध्वज ने यहाँ शासन किया था । भोजकवृष्णि ने उग्रसेन को इसी मगरी का राज्य देकर निर्ग्रन्थ दीक्षा धारण की थी । कंस ने अपनी बहिन देवकी का विवाह वसुदेव के साथ इसी नगरी में किया था । यह सूरसेन देश की राजधानी थी । राजा उग्रसेन के पूर्व उसके पितामह सुवीर तथा भोजकवृष्टि यहाँ राज्य करते थे । कंस यहीं पैदा हुआ था । इसका अपर नाम मथुरा था । अन्तिम नारायण कृष्ण का जन्म भी यहीं हुआ था । राजा मधु को पराजित कर राजा दशरथ के पुत्र शत्रुघ्न ने भी यहाँ राज्य किया था । राजा रत्नवीर्य भी यहाँ का शासक रहा है । इसकी रानी मेघमाला से मेरु पुत्र भी यहाँ हुआ था । महापुराण 70. 344, 357, 367, पद्मपुराण 20. 218-222, 89.1-117, हरिवंशपुराण 17.162, 18.179, 27.135, 33.28-31, 47, 54.73, 79, 62.4, पापू0 7. 142-144, 11. 65