मधुरा: Difference between revisions
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<li> दक्षिण द्रविड़ देश में वर्तमान मडुरा (मदुरा) नगर। (द्र.सं./प्र. | <li> म.पु./59/207-210 कोशल देश के वृद्धग्राम में मृगायण नामक ब्राह्मण की त्री थी। मरकर पोदनपुर नगर के राजा की पुत्री रामदत्ता हुई। (यह मेरु गणधर का पूर्व का नवाँ भव है–देखें [[ मेरु ]])। </li> | ||
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<p id="1"> (1) मेरु गणधर के नौवें पूर्वभव का जीव― भरतक्षेत्र के कोशल देश में अवस्थित वृद्धग्राम के निवासी ब्राह्मण मृगायण की स्त्री और वारुणी की जननी । यह मरकर पोदनपुर नगर के राजा पूर्णचन्द्र की पुत्री रामदत्ता हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 59.207-210, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.61 -64 </span></p> | |||
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Revision as of 21:45, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- म.पु./59/207-210 कोशल देश के वृद्धग्राम में मृगायण नामक ब्राह्मण की त्री थी। मरकर पोदनपुर नगर के राजा की पुत्री रामदत्ता हुई। (यह मेरु गणधर का पूर्व का नवाँ भव है–देखें मेरु )।
- दक्षिण द्रविड़ देश में वर्तमान मडुरा (मदुरा) नगर। (द्र.सं./प्र.1 जवाहरलाल शात्री)।
पुराणकोष से
(1) मेरु गणधर के नौवें पूर्वभव का जीव― भरतक्षेत्र के कोशल देश में अवस्थित वृद्धग्राम के निवासी ब्राह्मण मृगायण की स्त्री और वारुणी की जननी । यह मरकर पोदनपुर नगर के राजा पूर्णचन्द्र की पुत्री रामदत्ता हुई थी । महापुराण 59.207-210, हरिवंशपुराण 27.61 -64
(2) इसका अपर नाम मथुरा था । देखें मथुरा