मित्रननंदी: Difference between revisions
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<p> बलभद्र धर्म के पूर्वभव का जीव । यह भरतक्षेत्र में पश्चिम विदेहक्षेत्र का राजा था । इसे शत्रु और मित्र समान थे । इसने जिनेन्द्र सुव्रत से धर्म का स्वरूप सुनकर संयम धारण कर लिया था । अन्त में यह समाधिपूर्वक देह त्याग कर अनुत्तर विमान में तैंतीस सागर की आयु का धारी अहमिन्द्र हुआ और स्वर्ग से चयकर बलभद्र धर्म हुआ । महापुराण 59.63-71</p> | <p> बलभद्र धर्म के पूर्वभव का जीव । यह भरतक्षेत्र में पश्चिम विदेहक्षेत्र का राजा था । इसे शत्रु और मित्र समान थे । इसने जिनेन्द्र सुव्रत से धर्म का स्वरूप सुनकर संयम धारण कर लिया था । अन्त में यह समाधिपूर्वक देह त्याग कर अनुत्तर विमान में तैंतीस सागर की आयु का धारी अहमिन्द्र हुआ और स्वर्ग से चयकर बलभद्र धर्म हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 59.63-71 </span></p> | ||
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Revision as of 21:45, 5 July 2020
बलभद्र धर्म के पूर्वभव का जीव । यह भरतक्षेत्र में पश्चिम विदेहक्षेत्र का राजा था । इसे शत्रु और मित्र समान थे । इसने जिनेन्द्र सुव्रत से धर्म का स्वरूप सुनकर संयम धारण कर लिया था । अन्त में यह समाधिपूर्वक देह त्याग कर अनुत्तर विमान में तैंतीस सागर की आयु का धारी अहमिन्द्र हुआ और स्वर्ग से चयकर बलभद्र धर्म हुआ । महापुराण 59.63-71