मित्रानुराग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>सल्लेखनाव्रत का पाँचवाँ अतिचार-सम ?? के समय मित्रों में किये अथवा उनके दिये गये प्रेम की स्मृति करना । हरिवंशपुराण 58. 184 </p> | <p>सल्लेखनाव्रत का पाँचवाँ अतिचार-सम ?? के समय मित्रों में किये अथवा उनके दिये गये प्रेम की स्मृति करना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58. 184 </span></p> | ||
Revision as of 21:45, 5 July 2020
सल्लेखनाव्रत का पाँचवाँ अतिचार-सम ?? के समय मित्रों में किये अथवा उनके दिये गये प्रेम की स्मृति करना । हरिवंशपुराण 58. 184