मिथ्यात्वक्रिया: Difference between revisions
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<p> साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में दूसरी मिध्यात्वर्द्धिनी क्रिया । इससे मिथ्या देवी-देवताओं की स्तुति पूजाभक्ति आदि में प्रवृत्ति होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.62, 65 </span></p> | |||
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Revision as of 21:45, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें क्रिया - 3.2।
पुराणकोष से
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में दूसरी मिध्यात्वर्द्धिनी क्रिया । इससे मिथ्या देवी-देवताओं की स्तुति पूजाभक्ति आदि में प्रवृत्ति होती है । हरिवंशपुराण 58.62, 65