रायमल: Difference between revisions
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<li> सकलचन्द्र भट्टारक के शिष्य थे। हूमड़ जाति के थे। वि. | <li> सकलचन्द्र भट्टारक के शिष्य थे। हूमड़ जाति के थे। वि. 1667 में भक्तामर कथा लिखी। (हिं. जै. सा. इ./90 कामता)। </li> | ||
<li> एक अत्यन्त विरक्त श्रावक थे। | <li> एक अत्यन्त विरक्त श्रावक थे। 22 वर्ष की अवस्था में अनेक उत्कट त्याग कर दिये थे। आप पं. टोडरमल जी के अन्तेवासी थे। आपकी प्रेरणा से ही पं. टोडरमल जी ने गोम्मटसार की टीका लिखी थी। फिर आपने पं.टोडरमलजी का जीवनचरित लिखा। समय−वि. 1811-1838 (मो. मा. प्र./प्र./12/ परमानन्दशा)। </li> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
- मुनि अनन्तकीर्ति के शिष्य थे। हनुमन्तचरित व भविष्यदत्तचरित्र की रचना की थी। समय - वि. 1616-1663 (हिं. जै. सा. ई/89 कामता)।
- सकलचन्द्र भट्टारक के शिष्य थे। हूमड़ जाति के थे। वि. 1667 में भक्तामर कथा लिखी। (हिं. जै. सा. इ./90 कामता)।
- एक अत्यन्त विरक्त श्रावक थे। 22 वर्ष की अवस्था में अनेक उत्कट त्याग कर दिये थे। आप पं. टोडरमल जी के अन्तेवासी थे। आपकी प्रेरणा से ही पं. टोडरमल जी ने गोम्मटसार की टीका लिखी थी। फिर आपने पं.टोडरमलजी का जीवनचरित लिखा। समय−वि. 1811-1838 (मो. मा. प्र./प्र./12/ परमानन्दशा)।