ललितांग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) राजा महाबल का जीव । यह ऐशान स्वर्ग का एक देव था । यह तपाये हुए स्वर्ण के समान कान्तिमान था । इसकी ऊँचाई सात हाथ थी । यह एक हजार वर्ष बाद मानसिक आहार और एक पक्ष मे | <p id="1"> (1) राजा महाबल का जीव । यह ऐशान स्वर्ग का एक देव था । यह तपाये हुए स्वर्ण के समान कान्तिमान था । इसकी ऊँचाई सात हाथ थी । यह एक हजार वर्ष बाद मानसिक आहार और एक पक्ष मे श्वासोच्छ्वास लेता था । इसकी चार महादेवियाँ तथा चार हजार देवियाँ थीं । महादेवियों के स्वयंप्रभा, कनकप्रभा, कनकलता और विद्युल्लता नाम थे । आयु के अन्त में अच्युत स्वर्ग की जिन प्रतिमाओं की पूजा करते हुए तथा चैत्यवृक्ष के नीचे बैठकर नमस्कार मन्त्र को जपते हुए स्वर्ग से चयकर राजा वज्रबाहु का पुत्र वज्रजंघ हुआ । यही जीव आगामी सातवें भव में नाभेय-वृषभदेव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 5.253-254, 278-283, 6-24-29 </span></p> | ||
<p id="2">(2) इस नाम का एक विट । जम्बूकुमार ने इसकी एक कथा | <p id="2">(2) इस नाम का एक विट । जम्बूकुमार ने इसकी एक कथा विद्युच्चोर को सुनायी थी । <span class="GRef"> महापुराण 76.94 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ ललितकीर्ति | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ ललितांगद | अगला पृष्ठ ]] | [[ ललितांगद | अगला पृष्ठ ]] |
Revision as of 21:46, 5 July 2020
(1) राजा महाबल का जीव । यह ऐशान स्वर्ग का एक देव था । यह तपाये हुए स्वर्ण के समान कान्तिमान था । इसकी ऊँचाई सात हाथ थी । यह एक हजार वर्ष बाद मानसिक आहार और एक पक्ष मे श्वासोच्छ्वास लेता था । इसकी चार महादेवियाँ तथा चार हजार देवियाँ थीं । महादेवियों के स्वयंप्रभा, कनकप्रभा, कनकलता और विद्युल्लता नाम थे । आयु के अन्त में अच्युत स्वर्ग की जिन प्रतिमाओं की पूजा करते हुए तथा चैत्यवृक्ष के नीचे बैठकर नमस्कार मन्त्र को जपते हुए स्वर्ग से चयकर राजा वज्रबाहु का पुत्र वज्रजंघ हुआ । यही जीव आगामी सातवें भव में नाभेय-वृषभदेव हुआ । महापुराण 5.253-254, 278-283, 6-24-29
(2) इस नाम का एक विट । जम्बूकुमार ने इसकी एक कथा विद्युच्चोर को सुनायी थी । महापुराण 76.94