लंका: Difference between revisions
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रावण के पूर्वज मेघवाहन को राक्षसों के इन्द्र ने उसकी रक्षार्थ यह लंका नाम का द्वीप प्रदान किया था। यह त्रिकूटाचल पर्वत की तलहटी में है। (प. पु./5/157)। | |||
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<p> जम्बूद्वीप में दक्षिण दिशा का एक द्वीप एवं नगरी । नगरी लवणसमुद्र मे विद्यमान द्वीपों के मध्य स्थित राक्षस द्वीप और उसके भी मध्य मे स्थित त्रिकूटाचल पर्वत के नीचे स्थित थी । राक्षसवंशी विद्याधर यहाँ रहते थे । रावण के पूर्वज मेघवाहन को राक्षसों के इन्द्र भीम और सुभीम ने द्वीप की रक्षार्थ यह नगरी दी थी । यह बारह योजन लम्बी, नौ योजन चौड़ी है । इसमें बत्तीस गोपुर और एक रत्नकोट है । यह मेरु के समान ऊँची तथा वनोपवनों से अलंकृत है । रावण यहाँ का राजा था । <span class="GRef"> महापुराण 68. 256-257, 295-298, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 149-158, 43. 21 </span></p> | |||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == रावण के पूर्वज मेघवाहन को राक्षसों के इन्द्र ने उसकी रक्षार्थ यह लंका नाम का द्वीप प्रदान किया था। यह त्रिकूटाचल पर्वत की तलहटी में है। (प. पु./5/157)।
पुराणकोष से
जम्बूद्वीप में दक्षिण दिशा का एक द्वीप एवं नगरी । नगरी लवणसमुद्र मे विद्यमान द्वीपों के मध्य स्थित राक्षस द्वीप और उसके भी मध्य मे स्थित त्रिकूटाचल पर्वत के नीचे स्थित थी । राक्षसवंशी विद्याधर यहाँ रहते थे । रावण के पूर्वज मेघवाहन को राक्षसों के इन्द्र भीम और सुभीम ने द्वीप की रक्षार्थ यह नगरी दी थी । यह बारह योजन लम्बी, नौ योजन चौड़ी है । इसमें बत्तीस गोपुर और एक रत्नकोट है । यह मेरु के समान ऊँची तथा वनोपवनों से अलंकृत है । रावण यहाँ का राजा था । महापुराण 68. 256-257, 295-298, पद्मपुराण 5. 149-158, 43. 21