वामदेव: Difference between revisions
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1. मूलसंघी भट्टारक । गुरु परम्परा-विनयचन्द, त्रैलोक्यकीर्ति, लक्ष्मीचन्द्र, वामदेव । प्रतिष्ठा आदि विधानों के ज्ञाता एक जिनभक्त कायस्थ । कृतियें-भावसंग्रह, त्रैलोक्यप्रदीप, प्रतिष्ठा सूक्तिसंग्रह, त्रिलोकसार पूजा, तत्त्वार्थसार, श्रुतज्ञानोद्यापन, मन्दिर संस्कार पूजा। समय-वि.श.14-15 के लगभग (जै./1/484, 429), (ती./4/65)। | |||
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<p id="2">(2) भार्गवाचार्य की वंश परम्परा में हुए राजा सित का पुत्र और कापिष्ठल का पिता । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.45-46 </span></p> | |||
<p id="3">(3) समुद्रविजय के भाई अक्षोभ्य का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48. 45 </span></p> | |||
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Revision as of 21:47, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == 1. मूलसंघी भट्टारक । गुरु परम्परा-विनयचन्द, त्रैलोक्यकीर्ति, लक्ष्मीचन्द्र, वामदेव । प्रतिष्ठा आदि विधानों के ज्ञाता एक जिनभक्त कायस्थ । कृतियें-भावसंग्रह, त्रैलोक्यप्रदीप, प्रतिष्ठा सूक्तिसंग्रह, त्रिलोकसार पूजा, तत्त्वार्थसार, श्रुतज्ञानोद्यापन, मन्दिर संस्कार पूजा। समय-वि.श.14-15 के लगभग (जै./1/484, 429), (ती./4/65)।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 78
(2) भार्गवाचार्य की वंश परम्परा में हुए राजा सित का पुत्र और कापिष्ठल का पिता । हरिवंशपुराण 45.45-46
(3) समुद्रविजय के भाई अक्षोभ्य का पुत्र । हरिवंशपुराण 48. 45