वायुभूति: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| == सिद्धांतकोष से == | ||
ह.पु./43/श्लोक - मगधदेश शालिगा्रम सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र था।100। मुनियों द्वारा अपने पूर्व भव का वृत्तन्त सुन रुष्ट हुआ। रात्रि को मुनिहत्या को निकला पर यक्ष द्वारा कील दिया गया। मुनिराज ने दयापूर्वक छुड़वा दिया, तब अणुव्रत धारण किया और मरकर सौधर्म स्वर्ग में उपजा। (136-146)। यह कृष्ण के पुत्र शम्ब के पूर्व का छठा भव है। - देखें [[ शंब ]]। | |||
<noinclude> | |||
[[ | [[ वायुगति | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:व]] | [[ वायुरथ | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: व]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<p id="1"> (1) शम्ब के छठें पूर्वभव का जीव― मगधदेश में शालिग्राम के सोमदेव ब्राह्मण और उसकी पत्नी अग्निला का पुत्र । यह मिथ्यात्वी और मुनि निन्दक था । मुनि सत्यक से पराजित होकर इसने मुनि को मारना चाहा था, किन्तु मुनि का घात करने में उद्यत देखकर सुवर्णयक्ष ने इसे कील दिया था । जैनधर्म स्वीकार करने पर ही यक्ष द्वारा यह अकीलित हुआ था । इस घटना के पश्चात् इसने व्रत सहित जीवन पूर्ण किया । आयु के अन्त में मरकर यह सौधर्म स्वर्ग का देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 72. 15-24, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 109.92-130, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>43.99-148 </span></p> | |||
<p id="2">(2) तीर्थंकर महावीर के दूसरे गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>के अनुसार ये तीसरे गणधर थे । <span class="GRef"> महापुराण 74.373, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>3.41, <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.206-207 </span></p> | |||
<noinclude> | |||
[[ वायुगति | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ वायुरथ | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: व]] |
Revision as of 21:47, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == ह.पु./43/श्लोक - मगधदेश शालिगा्रम सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र था।100। मुनियों द्वारा अपने पूर्व भव का वृत्तन्त सुन रुष्ट हुआ। रात्रि को मुनिहत्या को निकला पर यक्ष द्वारा कील दिया गया। मुनिराज ने दयापूर्वक छुड़वा दिया, तब अणुव्रत धारण किया और मरकर सौधर्म स्वर्ग में उपजा। (136-146)। यह कृष्ण के पुत्र शम्ब के पूर्व का छठा भव है। - देखें शंब ।
पुराणकोष से
(1) शम्ब के छठें पूर्वभव का जीव― मगधदेश में शालिग्राम के सोमदेव ब्राह्मण और उसकी पत्नी अग्निला का पुत्र । यह मिथ्यात्वी और मुनि निन्दक था । मुनि सत्यक से पराजित होकर इसने मुनि को मारना चाहा था, किन्तु मुनि का घात करने में उद्यत देखकर सुवर्णयक्ष ने इसे कील दिया था । जैनधर्म स्वीकार करने पर ही यक्ष द्वारा यह अकीलित हुआ था । इस घटना के पश्चात् इसने व्रत सहित जीवन पूर्ण किया । आयु के अन्त में मरकर यह सौधर्म स्वर्ग का देव हुआ । महापुराण 72. 15-24, पद्मपुराण 109.92-130, हरिवंशपुराण 43.99-148
(2) तीर्थंकर महावीर के दूसरे गणधर । हरिवंशपुराण के अनुसार ये तीसरे गणधर थे । महापुराण 74.373, हरिवंशपुराण 3.41, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.206-207