विजयार्धकुमार: Difference between revisions
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<p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत का अधिष्ठाता देव । इसने झारी, कलशजल, सिंहासन, छत्र और चमर भेंट करते हुए चक्रवर्ती भरतेश की अधीनता स्वीकार की थी । महापुराण 37.155, हरिवंशपुराण 11. 18-20</p> | <p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत का अधिष्ठाता देव । इसने झारी, कलशजल, सिंहासन, छत्र और चमर भेंट करते हुए चक्रवर्ती भरतेश की अधीनता स्वीकार की थी । <span class="GRef"> महापुराण 37.155, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11. 18-20 </span></p> | ||
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Revision as of 21:47, 5 July 2020
(1) जम्बूद्वीप भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत का पाँचवाँ कूट । हरिवंशपुराण 5. 27
(2) ऐरावतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत का पाँचवाँ कूट । हरिवंशपुराण 5.111
(3) विजयार्ध पर्वत का अधिष्ठाता देव । इसने झारी, कलशजल, सिंहासन, छत्र और चमर भेंट करते हुए चक्रवर्ती भरतेश की अधीनता स्वीकार की थी । महापुराण 37.155, हरिवंशपुराण 11. 18-20