विद्युत्प्रभ: Difference between revisions
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<li> देवकुरु के | <li> विद्युत्प्रभ गजदन्त का एक कूट–देखें [[ लोक#5.4 | लोक - 5.4]]। </li> | ||
<li> यदुवंशी अन्धकवृष्णि के पुत्र | <li> देवकुरु के 10 द्रहों में से एक–देखें [[ लोक#5.6 | लोक - 5.6]]। </li> | ||
<li> म.पु./ | <li> यदुवंशी अन्धकवृष्णि के पुत्र हिमवान् का पुत्र तथा नेमिनाथ भगवान् का चचेरा भाई–देखें [[ इतिहास#10.10 | इतिहास - 10.10]]। </li> | ||
</ol | <li> म.पु./76/श्लोक -पोदनपुर के राजा विद्युद्राज का पुत्र था। विद्युच्चर नाम का कुशल चोर बना। जम्बूकुमार के घर चोरी करने गया।46-57। वहाँ दीक्षा को कटिबद्ध जम्बूकुमार को अनेकों कथाएँ बताकर रोकने का प्रयत्न किया।58-107। पर स्वयं उनके उपदेशों से प्रभावित होकर उनके साथ ही दीक्षा धारण कर ली।108-110। </li> | ||
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<p id="1"> (1) मेरु के दक्षिण-पश्चिम कोण में स्थित स्वर्णमय एक पर्वत । इसके नौ कूट हैं― 1. सिद्धकूट 2. विद्युत्प्रभकूट 3. देवकुरुकूट 4. पद्ममककूट 5. तपनकूट 6. स्वस्तिककूट 7. शतज्वलकूट 8. सीतोदाकूट और 9. हरिसहकूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.212, 222-223 </span></p> | |||
<p id="2">(2) इस नाम के पर्वत का दूसरा कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.222 </span></p> | |||
<p id="3">(3) यदुवंशी राजा अन्धकवृष्णि के पुत्र राजा हिमवान् का प्रथम पुत्र । माल्यवान् और गन्धमादन इसके भाई थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.47 </span></p> | |||
<p id="4">(4) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित चौथा नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19.78, 87, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.90 </span></p> | |||
<p id="5">(5) हेमपुर नगर के राजा कनकद्युति का पुत्र । राजा महेन्द्र ने अल्पायु जानकर इसे अपनी पुत्री अंजन को देने योग्य नहीं समझा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 15. 85 </span></p> | |||
<p id="6">(6) चक्रवर्ती भरतेश के कुण्डल । <span class="GRef"> महापुराण 37. 157 </span></p> | |||
<p id="7">(7) जम्बूद्वीप के प्रसिद्ध सोलह सरोवरों में ग्यारहवाँ सरोवर । <span class="GRef"> महापुराण 63. 199 </span></p> | |||
<p id="8">(8) चार गजदन्त पर्वतों में तीसरा पर्वत । यह अनादिनिधन है । <span class="GRef"> महापुराण 63. 205 </span></p> | |||
<p id="9">(9) पोदनपुर नगर के राजा विद्युद्राज का पुत्र । इसका अपर नाम विद्युच्चोर था । <span class="GRef"> महापुराण 76. 53-55 </span>देखें [[ विद्युच्चोर ]]</p> | |||
<p id="10">(10) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में सुरेन्द्रकान्तार नगर के राजा मेघवाहन और रानी मेघमालिनी का पुत्र । यह ज्योतिर्माला का भाई था । दूसरे पूर्व भव में यह वत्सकावती देश में प्रभाकरी नगरी के राजा नन्दन का पुत्र विजयभद्र और प्रथम पूर्व भव में माहेन्द्र स्वर्ग के चक्रक विमान में देव था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 71-72, 75-78, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4. 29-35 </span></p> | |||
<p id="11">(11) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में रथनूपुर नगर का नृप एक विद्याधर । इसके दो पुत्र थे― इन्द्र और विद्युन्माली । इन पुत्रों में इन्द्र को राज्य सौंपकर तथा विद्युन्माली को युवराज बनाकर यह दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 17. 43-45 </span></p> | |||
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Revision as of 21:47, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- एक गजदन्त पर्वत–देखें लोक - 5.3।
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
- विद्युत्प्रभ गजदन्त का एक कूट–देखें लोक - 5.4।
- देवकुरु के 10 द्रहों में से एक–देखें लोक - 5.6।
- यदुवंशी अन्धकवृष्णि के पुत्र हिमवान् का पुत्र तथा नेमिनाथ भगवान् का चचेरा भाई–देखें इतिहास - 10.10।
- म.पु./76/श्लोक -पोदनपुर के राजा विद्युद्राज का पुत्र था। विद्युच्चर नाम का कुशल चोर बना। जम्बूकुमार के घर चोरी करने गया।46-57। वहाँ दीक्षा को कटिबद्ध जम्बूकुमार को अनेकों कथाएँ बताकर रोकने का प्रयत्न किया।58-107। पर स्वयं उनके उपदेशों से प्रभावित होकर उनके साथ ही दीक्षा धारण कर ली।108-110।
पुराणकोष से
(1) मेरु के दक्षिण-पश्चिम कोण में स्थित स्वर्णमय एक पर्वत । इसके नौ कूट हैं― 1. सिद्धकूट 2. विद्युत्प्रभकूट 3. देवकुरुकूट 4. पद्ममककूट 5. तपनकूट 6. स्वस्तिककूट 7. शतज्वलकूट 8. सीतोदाकूट और 9. हरिसहकूट । हरिवंशपुराण 5.212, 222-223
(2) इस नाम के पर्वत का दूसरा कूट । हरिवंशपुराण 5.222
(3) यदुवंशी राजा अन्धकवृष्णि के पुत्र राजा हिमवान् का प्रथम पुत्र । माल्यवान् और गन्धमादन इसके भाई थे । हरिवंशपुराण 48.47
(4) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित चौथा नगर । महापुराण 19.78, 87, हरिवंशपुराण 22.90
(5) हेमपुर नगर के राजा कनकद्युति का पुत्र । राजा महेन्द्र ने अल्पायु जानकर इसे अपनी पुत्री अंजन को देने योग्य नहीं समझा था । पद्मपुराण 15. 85
(6) चक्रवर्ती भरतेश के कुण्डल । महापुराण 37. 157
(7) जम्बूद्वीप के प्रसिद्ध सोलह सरोवरों में ग्यारहवाँ सरोवर । महापुराण 63. 199
(8) चार गजदन्त पर्वतों में तीसरा पर्वत । यह अनादिनिधन है । महापुराण 63. 205
(9) पोदनपुर नगर के राजा विद्युद्राज का पुत्र । इसका अपर नाम विद्युच्चोर था । महापुराण 76. 53-55 देखें विद्युच्चोर
(10) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में सुरेन्द्रकान्तार नगर के राजा मेघवाहन और रानी मेघमालिनी का पुत्र । यह ज्योतिर्माला का भाई था । दूसरे पूर्व भव में यह वत्सकावती देश में प्रभाकरी नगरी के राजा नन्दन का पुत्र विजयभद्र और प्रथम पूर्व भव में माहेन्द्र स्वर्ग के चक्रक विमान में देव था । महापुराण 62. 71-72, 75-78, पांडवपुराण 4. 29-35
(11) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में रथनूपुर नगर का नृप एक विद्याधर । इसके दो पुत्र थे― इन्द्र और विद्युन्माली । इन पुत्रों में इन्द्र को राज्य सौंपकर तथा विद्युन्माली को युवराज बनाकर यह दीक्षित हो गया था । पांडवपुराण 17. 43-45