विमलश्री: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में जयन्त नगर के राजा श्रीधर और रानी श्रीमती की पुत्री । भद्रिलपुर के राजा मेघनाद की यह रानी थी । मेघघोष इसका पुत्र था । पति के मर जाने पर इसने | <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में जयन्त नगर के राजा श्रीधर और रानी श्रीमती की पुत्री । भद्रिलपुर के राजा मेघनाद की यह रानी थी । मेघघोष इसका पुत्र था । पति के मर जाने पर इसने पद्मावती आर्यिका के समीप दीक्षा लेकर आचाम्लवर्धन-तप किया था । अन्त में इस तप के प्रभाव से यह सहस्रार स्वर्ग के इन्द्र की प्रधान देवी हुई । <span class="GRef"> महापुराण 71.452-457, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 117-120 </span>देखें [[ पद्मावती#2 | पद्मावती - 2]] </p> | ||
<p id="2">(2) मृणालवती नगरी के सेठ श्रीदत्त की वल्लभा । सती रतिवेगा की यह जननी थी । महापुराण 46. 101-105</p> | <p id="2">(2) मृणालवती नगरी के सेठ श्रीदत्त की वल्लभा । सती रतिवेगा की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 46. 101-105 </span></p> | ||
Revision as of 21:47, 5 July 2020
(1) भरतक्षेत्र में जयन्त नगर के राजा श्रीधर और रानी श्रीमती की पुत्री । भद्रिलपुर के राजा मेघनाद की यह रानी थी । मेघघोष इसका पुत्र था । पति के मर जाने पर इसने पद्मावती आर्यिका के समीप दीक्षा लेकर आचाम्लवर्धन-तप किया था । अन्त में इस तप के प्रभाव से यह सहस्रार स्वर्ग के इन्द्र की प्रधान देवी हुई । महापुराण 71.452-457, हरिवंशपुराण 60. 117-120 देखें पद्मावती - 2
(2) मृणालवती नगरी के सेठ श्रीदत्त की वल्लभा । सती रतिवेगा की यह जननी थी । महापुराण 46. 101-105