विवाहकल्याणक: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page विवाहकल्याणक to विवाहकल्याणक without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> विवाह का उत्सव । इस समय विवाह-मण्डप बनाया जाता है और उसे सजाया जाता है । वर और वधू अलंकृत किये जाते हैं । दान, मान और सम्भाषण से आगन्तुकों का सम्मान किया जाता है । इस उत्सव को सूचित करने के लिए मंगल भेरी बजाई जाती है । परिणय गुरुजनों, बन्धुओं और मित्रों की साक्षी में होता है । महापुराण 7.210, 222-223, 238-290, 15.68-75</p> | <p> विवाह का उत्सव । इस समय विवाह-मण्डप बनाया जाता है और उसे सजाया जाता है । वर और वधू अलंकृत किये जाते हैं । दान, मान और सम्भाषण से आगन्तुकों का सम्मान किया जाता है । इस उत्सव को सूचित करने के लिए मंगल भेरी बजाई जाती है । परिणय गुरुजनों, बन्धुओं और मित्रों की साक्षी में होता है । <span class="GRef"> महापुराण 7.210, 222-223, 238-290, 15.68-75 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ विवाह | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ विवाह पटल | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ विविक्त | [[ विविक्त शय्यासन | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] |
Revision as of 21:47, 5 July 2020
विवाह का उत्सव । इस समय विवाह-मण्डप बनाया जाता है और उसे सजाया जाता है । वर और वधू अलंकृत किये जाते हैं । दान, मान और सम्भाषण से आगन्तुकों का सम्मान किया जाता है । इस उत्सव को सूचित करने के लिए मंगल भेरी बजाई जाती है । परिणय गुरुजनों, बन्धुओं और मित्रों की साक्षी में होता है । महापुराण 7.210, 222-223, 238-290, 15.68-75