अकालवर्ष: Difference between revisions
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मान्यखेटके राजा अमोघवर्ष के पुत्र थे। कृष्ण द्वितीय इनकी उपाधि थी जो कृष्ण प्रथम के पुत्र ध्रुवराज के राज्यपर आसीन होने के कारण इन्हें प्राप्त थी। ये भी राष्ट्रकूट के राजा थे। राजा लोकादित्य के समकालीन थे। इनका समय ई. ८७८ से ९१२ है। <br>(विशेष <b>देखे </b>[[इतिहास]] ३/५)। ([[हरिवंश पुराण]] सर्ग ६६/५२-५३); (उत्तरपुराण की प्रशस्ति); (जीवन्धर चम्पू/प्र. ८/A. N. Upadhye); (आ. अनु. प्र. ७०/H. L. Jain); ([[महापुराण]] प्रस्तावना ४२/पं. पन्नालाल बाकलीवाल)।<br>[[Category:अ]] | मान्यखेटके राजा अमोघवर्ष के पुत्र थे। कृष्ण द्वितीय इनकी उपाधि थी जो कृष्ण प्रथम के पुत्र ध्रुवराज के राज्यपर आसीन होने के कारण इन्हें प्राप्त थी। ये भी राष्ट्रकूट के राजा थे। राजा लोकादित्य के समकालीन थे। इनका समय ई. ८७८ से ९१२ है। <br>(विशेष <b>देखे </b>[[इतिहास]] ३/५)। ([[हरिवंश पुराण]] सर्ग ६६/५२-५३); (उत्तरपुराण की प्रशस्ति); (जीवन्धर चम्पू/प्र. ८/A. N. Upadhye); (आ. अनु. प्र. ७०/H. L. Jain); ([[महापुराण]] प्रस्तावना ४२/पं. पन्नालाल बाकलीवाल)।<br>[[Category:अ]] [[Category:उत्तरपुराण]] [[Category:महापुराण]] [[Category:हरिवंश पुराण]] |
Revision as of 08:43, 1 May 2009
मान्यखेटके राजा अमोघवर्ष के पुत्र थे। कृष्ण द्वितीय इनकी उपाधि थी जो कृष्ण प्रथम के पुत्र ध्रुवराज के राज्यपर आसीन होने के कारण इन्हें प्राप्त थी। ये भी राष्ट्रकूट के राजा थे। राजा लोकादित्य के समकालीन थे। इनका समय ई. ८७८ से ९१२ है।
(विशेष देखे इतिहास ३/५)। (हरिवंश पुराण सर्ग ६६/५२-५३); (उत्तरपुराण की प्रशस्ति); (जीवन्धर चम्पू/प्र. ८/A. N. Upadhye); (आ. अनु. प्र. ७०/H. L. Jain); (महापुराण प्रस्तावना ४२/पं. पन्नालाल बाकलीवाल)।