शांतिनाथ: Difference between revisions
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| (म.पु./सर्ग/श्लोक - पूर्व भव सं.11 में मगधदेश का राजा श्रीषेण था (62/140) 10वें में भोगभूमि में आर्य हुआ (62/357) 9वें में सौधर्म स्वर्ग में श्रीप्रभ नामक देव (62/375) 8वें में अर्ककीर्ति का पुत्र अमिततेज (62/152) 7वें में तेरहवें स्वर्ग में रविचूल नामक देव हुआ (62/410) 6ठे में राजपुत्र अपराजित हुआ। (62/412-413) पाँचवें में अच्युतेन्द्र (63/26-27) चौथे में पूर्व विदेह में वज्रायुध नामक राजपुत्र (63/37-39) तीसरे में अधो ग्रैवेयक में अहमिन्द्र (63/140-141) दूसरे में राजपुत्र मेघरथ (63/142-143) पूर्वभव में सर्वार्थ सिद्धि में अहमिन्द्र था। वर्तमान भव में 16वें तीर्थंकर हुए हैं। (63/504) युगपत सर्वभव (64/504) वर्तमान भव सम्बन्धी विशेष परिचय - देखें [[ तीर्थंकर#5 | तीर्थंकर - 5]]। | ||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
(म.पु./सर्ग/श्लोक - पूर्व भव सं.11 में मगधदेश का राजा श्रीषेण था (62/140) 10वें में भोगभूमि में आर्य हुआ (62/357) 9वें में सौधर्म स्वर्ग में श्रीप्रभ नामक देव (62/375) 8वें में अर्ककीर्ति का पुत्र अमिततेज (62/152) 7वें में तेरहवें स्वर्ग में रविचूल नामक देव हुआ (62/410) 6ठे में राजपुत्र अपराजित हुआ। (62/412-413) पाँचवें में अच्युतेन्द्र (63/26-27) चौथे में पूर्व विदेह में वज्रायुध नामक राजपुत्र (63/37-39) तीसरे में अधो ग्रैवेयक में अहमिन्द्र (63/140-141) दूसरे में राजपुत्र मेघरथ (63/142-143) पूर्वभव में सर्वार्थ सिद्धि में अहमिन्द्र था। वर्तमान भव में 16वें तीर्थंकर हुए हैं। (63/504) युगपत सर्वभव (64/504) वर्तमान भव सम्बन्धी विशेष परिचय - देखें तीर्थंकर - 5।