शिल्पकर्म: Difference between revisions
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<p> तीर्थंकर वृषभदेव द्वारा बताये गये आजीविका के छ: कर्मों में छठा कर्म । हस्त-कौशल से जीविकोपार्जन करना शिल्पकर्म कहलाता है । चित्रकला, पत्रच्छेदन आदि शिल्पकार्य के भेद है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 16.179-182, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.35 </span></p> | |||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें सावद्य - 3।
पुराणकोष से
तीर्थंकर वृषभदेव द्वारा बताये गये आजीविका के छ: कर्मों में छठा कर्म । हस्त-कौशल से जीविकोपार्जन करना शिल्पकर्म कहलाता है । चित्रकला, पत्रच्छेदन आदि शिल्पकार्य के भेद है । हरिवंशपुराण 16.179-182, हरिवंशपुराण 9.35