शिवतत्त्व: Difference between revisions
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
देखें ध्यान - 4.5 शिवतत्त्व वास्तव में आत्मा है।
ज्ञा./21/10...युगपत्प्रादुर्भूतानन्तचतुष्टयो घनपटलविगमे सवितु: प्रतापप्रकाशभिव्यक्तिवत् स खल्वयमात्मैव परमात्मव्यपदेशभाग्भवति। = युगपत् अनन्तज्ञान-दर्शन-सुख-वीर्यरूप चतुष्टय जिसके ऐसा, जैसे - मेघ पटलों के दूर होने से सूर्य का प्रताप और प्रकाश युगपत् प्रकट होता है, उसी प्रकार प्रगट हुआ आत्मा ही निश्चय करके परमात्मा के व्यपदेश का धारक होता है। (यही शिवतत्त्व है)।