श्रावकाध्ययनांग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अग । इसका अपर नाम उपाकाध्ययनांग है । इसमें श्रावक के आचार का वर्णन है । इसकी पद- | <p> द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अग । इसका अपर नाम उपाकाध्ययनांग है । इसमें श्रावक के आचार का वर्णन है । इसकी पद-संख्या ग्यारह लाख सत्तर हजार है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.93, 10.37 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ श्रावकाचार | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ श्रावण द्वादशी व्रत | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] |
Revision as of 21:48, 5 July 2020
द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अग । इसका अपर नाम उपाकाध्ययनांग है । इसमें श्रावक के आचार का वर्णन है । इसकी पद-संख्या ग्यारह लाख सत्तर हजार है । हरिवंशपुराण 2.93, 10.37