श्रीवृक्ष: Difference between revisions
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रुचक पर्वतस्थ एक कूट - | रुचक पर्वतस्थ एक कूट - देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]।</li> | ||
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<p id="1"> (1) तीर्थंकरों के वक्षःस्थल पर रहने वाला श्रीवत्स-चिह्न । <span class="GRef"> महापुराण 23.49 </span></p> | |||
<p id="2">(2) राजा श्रीवर्द्धन का पुत्र । यह संजयन्त का पिता था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.49-50 </span></p> | |||
<p id="3">(3) एक विद्याधर राजा । यह राम का भक्त था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 61.13 </span></p> | |||
<p id="4">(4) कुण्डलगिरि के पश्चिम दिशावर्ती मणिकूट का निवासी एक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.693 </span></p> | |||
<p id="5">(5) कुण्डलगिरि की पश्चिम दिशा का एक कूट । यह एक हजार योजन चौड़ा और पाँच सौ योजन ऊँचा है । इस कूट पर नीलक देव रहता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.701-702 </span></p> | |||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- कुण्डल पर्वतस्थ मणिकूट का स्वामी नागेन्द्र देव - देखें लोक - 5.12;
- रुचक पर्वतस्थ एक कूट - देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) तीर्थंकरों के वक्षःस्थल पर रहने वाला श्रीवत्स-चिह्न । महापुराण 23.49
(2) राजा श्रीवर्द्धन का पुत्र । यह संजयन्त का पिता था । पद्मपुराण 21.49-50
(3) एक विद्याधर राजा । यह राम का भक्त था । पद्मपुराण 61.13
(4) कुण्डलगिरि के पश्चिम दिशावर्ती मणिकूट का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण 5.693
(5) कुण्डलगिरि की पश्चिम दिशा का एक कूट । यह एक हजार योजन चौड़ा और पाँच सौ योजन ऊँचा है । इस कूट पर नीलक देव रहता है । हरिवंशपुराण 5.701-702