श्रुतिरत: Difference between revisions
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<p> नाग नगर के निवासी विश्वांक ब्राह्मण और अग्निकुण्डा ब्राह्मणी का विद्वान पुत्र । इस नगर के राजा कुलंकर ने इसे अपना पुरोहित बनाया था । राजा मुनि पद धारण कर रहा था । उस समय इसने वैदिक धर्म का आचरण करने के लिए प्रेरित किया और राजा ने इसकी प्रार्थना स्वीकार भी कर ली थी । राजा की रानी श्रीदामा ने सशंकित होकर राजा सहित इसे मार डाला था । दोनों मरकर खरगोश हुए । पद्मपुराण 85.49-63</p> | <p> नाग नगर के निवासी विश्वांक ब्राह्मण और अग्निकुण्डा ब्राह्मणी का विद्वान पुत्र । इस नगर के राजा कुलंकर ने इसे अपना पुरोहित बनाया था । राजा मुनि पद धारण कर रहा था । उस समय इसने वैदिक धर्म का आचरण करने के लिए प्रेरित किया और राजा ने इसकी प्रार्थना स्वीकार भी कर ली थी । राजा की रानी श्रीदामा ने सशंकित होकर राजा सहित इसे मार डाला था । दोनों मरकर खरगोश हुए । <span class="GRef"> पद्मपुराण 85.49-63 </span></p> | ||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
नाग नगर के निवासी विश्वांक ब्राह्मण और अग्निकुण्डा ब्राह्मणी का विद्वान पुत्र । इस नगर के राजा कुलंकर ने इसे अपना पुरोहित बनाया था । राजा मुनि पद धारण कर रहा था । उस समय इसने वैदिक धर्म का आचरण करने के लिए प्रेरित किया और राजा ने इसकी प्रार्थना स्वीकार भी कर ली थी । राजा की रानी श्रीदामा ने सशंकित होकर राजा सहित इसे मार डाला था । दोनों मरकर खरगोश हुए । पद्मपुराण 85.49-63