सन्निकर्ष: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="PrakritText"> | <span class="PrakritText">1. ष.खं.व धवला 12/4,2,13/सू.2-3/375 जो सोवेयणसण्णियासो सो दुविहो सत्थाणवेयणसण्णियासो चेव परत्थाणवेयणसण्णियासो चेव।2। अप्पिदेगकम्मस्स दव्व-खेत्त-काल-भावविसओ सत्थाणसण्णियासो णाम। अट्ठकम्मविसओ परत्थाणसण्णियासो णाम। सण्ण्णियासो णाम किं। दव्व-खेत्त-काल-भावेसु जहण्णुक्कस्सभेदभिण्णेसु एक्कम्हि णिरुद्धे सेसाणि किमुक्कस्साणि किमणुक्कस्साणि किं जहण्णाणि किं अजहण्णाणि वा पदाणि होंति त्ति जा परिक्खा सो सण्णियासो णाम।</span> =<span class="HindiText">सन्निकर्ष है वह दो प्रकार है‒स्वस्थान-वेदना।=जो वह वेदना सन्निकर्ष है वह दो प्रकार है‒स्वस्थान-वेदनासन्निकर्ष और परस्थान-वेदना सन्निकर्ष।2। किसी विवक्षित एक कर्म का जो द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भाव विषयक सन्निकर्ष होता है वह स्वस्थानसन्निकर्ष कहा जाता है और आठों कर्मों विषयक सन्निकर्ष परस्थान सन्निकर्ष कहलाता है। <strong>प्रश्न</strong>‒सन्निकर्ष (सामान्य) किसे कहते हैं? <strong>उत्तर</strong>‒जघन्य व उत्कृष्ट भेद रूप द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भावों में से किसी एक को विवक्षित करके उसमें शेष पद क्या उत्कृष्ट है, क्या अनुत्कृष्ट है, क्या जघन्य है और क्या अजघन्य है, इस प्रकार की जो परीक्षा की जाती है वह सन्निकर्ष है। 2. प्रवचन-सन्निकर्ष के लिये देखें [[ प्रवचन सन्निकर्ष ]]।</span> | ||
[[सन्नासन्न | | <noinclude> | ||
[[ सन्नासन्न | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:स]] | [[ सन्निकर्ष प्रमाण | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: स]] |
Revision as of 21:48, 5 July 2020
1. ष.खं.व धवला 12/4,2,13/सू.2-3/375 जो सोवेयणसण्णियासो सो दुविहो सत्थाणवेयणसण्णियासो चेव परत्थाणवेयणसण्णियासो चेव।2। अप्पिदेगकम्मस्स दव्व-खेत्त-काल-भावविसओ सत्थाणसण्णियासो णाम। अट्ठकम्मविसओ परत्थाणसण्णियासो णाम। सण्ण्णियासो णाम किं। दव्व-खेत्त-काल-भावेसु जहण्णुक्कस्सभेदभिण्णेसु एक्कम्हि णिरुद्धे सेसाणि किमुक्कस्साणि किमणुक्कस्साणि किं जहण्णाणि किं अजहण्णाणि वा पदाणि होंति त्ति जा परिक्खा सो सण्णियासो णाम। =सन्निकर्ष है वह दो प्रकार है‒स्वस्थान-वेदना।=जो वह वेदना सन्निकर्ष है वह दो प्रकार है‒स्वस्थान-वेदनासन्निकर्ष और परस्थान-वेदना सन्निकर्ष।2। किसी विवक्षित एक कर्म का जो द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भाव विषयक सन्निकर्ष होता है वह स्वस्थानसन्निकर्ष कहा जाता है और आठों कर्मों विषयक सन्निकर्ष परस्थान सन्निकर्ष कहलाता है। प्रश्न‒सन्निकर्ष (सामान्य) किसे कहते हैं? उत्तर‒जघन्य व उत्कृष्ट भेद रूप द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भावों में से किसी एक को विवक्षित करके उसमें शेष पद क्या उत्कृष्ट है, क्या अनुत्कृष्ट है, क्या जघन्य है और क्या अजघन्य है, इस प्रकार की जो परीक्षा की जाती है वह सन्निकर्ष है। 2. प्रवचन-सन्निकर्ष के लिये देखें प्रवचन सन्निकर्ष ।