सन्मति: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| == सिद्धांतकोष से == | ||
1. भगवान् महावीर का अपर नाम था‒देखें [[ महावीर ]]; 2. द्वितीय कुलकर थे‒देखें [[ शलाका पुरुष#9 | शलाका पुरुष - 9]]। | |||
[[सन्नीरा | | <noinclude> | ||
[[ सन्नीरा | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:स]] | [[ सन्मति कीर्ति | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: स]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<p id="1">(1) प्रतिश्रुति कुलकर का पुत्र दूसरा कुलकर । इनकी आयु अमम-काल के बराबर संख्यात वर्षों की थी । शरीर एक हजार तीन सौ धनुष ऊँचा था । इनके समय में ज्योतिरंग कल्पवृक्षों की प्रभा मन्द पड़ गई थी । आकाश में सूर्य चन्द्र तारे और नक्षत्र दिखाई देने लगे थे । इन्होंने प्रजा को सूर्यग्रहण चन्द्रग्रहण, ग्रहों का एक राशि से दूसरी राशि पर जाना, दिन और अयन आदि का संक्रमण बतलाते हुए ज्योतिष विद्या की मूल बातें बताई थी । ये तीसरे मनु क्षेमंकर को राज्य देकर स्वर्ग गये । <span class="GRef"> महापुराण 3. 77-89, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3.77, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.148-150, </span>पाप0 2. 105</p> | |||
<p id="2">(2) तीर्थंकर वर्द्धमान का अपर नाम संजय और विजय नामक चारण ऋद्धिधारियों ने अपना उत्पन्न सन्देह वर्द्धमान को देखते ही दूर हो जाने से प्रसन्न होकर वर्द्धमान का यह नाम रखा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 74.282-283, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 1.116 </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ सन्नीरा | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ सन्मति कीर्ति | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: स]] |
Revision as of 21:48, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == 1. भगवान् महावीर का अपर नाम था‒देखें महावीर ; 2. द्वितीय कुलकर थे‒देखें शलाका पुरुष - 9।
पुराणकोष से
(1) प्रतिश्रुति कुलकर का पुत्र दूसरा कुलकर । इनकी आयु अमम-काल के बराबर संख्यात वर्षों की थी । शरीर एक हजार तीन सौ धनुष ऊँचा था । इनके समय में ज्योतिरंग कल्पवृक्षों की प्रभा मन्द पड़ गई थी । आकाश में सूर्य चन्द्र तारे और नक्षत्र दिखाई देने लगे थे । इन्होंने प्रजा को सूर्यग्रहण चन्द्रग्रहण, ग्रहों का एक राशि से दूसरी राशि पर जाना, दिन और अयन आदि का संक्रमण बतलाते हुए ज्योतिष विद्या की मूल बातें बताई थी । ये तीसरे मनु क्षेमंकर को राज्य देकर स्वर्ग गये । महापुराण 3. 77-89, पद्मपुराण 3.77, हरिवंशपुराण 7.148-150, पाप0 2. 105
(2) तीर्थंकर वर्द्धमान का अपर नाम संजय और विजय नामक चारण ऋद्धिधारियों ने अपना उत्पन्न सन्देह वर्द्धमान को देखते ही दूर हो जाने से प्रसन्न होकर वर्द्धमान का यह नाम रखा था । पद्मपुराण 74.282-283, पांडवपुराण 1.116 देखें महावीर