समादानक्रिया: Difference between revisions
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<p> साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में चौथी क्रिया-संयमी पुरुष का असंयम की ओर सम्मुख होना । यह प्रमावर्धक होती है । हरिवंशपुराण 58.64</p> | <p> साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में चौथी क्रिया-संयमी पुरुष का असंयम की ओर सम्मुख होना । यह प्रमावर्धक होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.64 </span></p> | ||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में चौथी क्रिया-संयमी पुरुष का असंयम की ओर सम्मुख होना । यह प्रमावर्धक होती है । हरिवंशपुराण 58.64