सर्वश्री: Difference between revisions
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<p id="1">(1) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में मेघपुर नगर के राजा धनंजय की रानी और धनश्री की जननी । महापुराण 71.252-253, हरिवंशपुराण 33. 135</p> | <p id="1">(1) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में मेघपुर नगर के राजा धनंजय की रानी और धनश्री की जननी । <span class="GRef"> महापुराण 71.252-253, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 135 </span></p> | ||
<p id="2">(2) जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र की वीतशोका नगरी के राजा वैजयन्त की रानी । इसके संजयन्त और जयन्त दो पुत्र थे । महापुराण 59.101-110, हरिवंशपुराण 27.5-6</p> | <p id="2">(2) जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र की वीतशोका नगरी के राजा वैजयन्त की रानी । इसके संजयन्त और जयन्त दो पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 59.101-110, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.5-6 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक आर्यिका । यह पंचमकाल के साढ़े आठ माह शेष रहने पर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अन्तिम दिन स्वाति नक्षत्र में देह त्याग कर स्वर्ग में उत्पन्न होगी । महापुराण 76.432-436</p> | <p id="3">(3) एक आर्यिका । यह पंचमकाल के साढ़े आठ माह शेष रहने पर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अन्तिम दिन स्वाति नक्षत्र में देह त्याग कर स्वर्ग में उत्पन्न होगी । <span class="GRef"> महापुराण 76.432-436 </span></p> | ||
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<p id="5">(5) इन्द्र लोकपाल की मुनि भक्त रानी । यह सम्यग्दृष्टि थी । आनन्दमाला मुनि की निन्दा करने के कारण कल्याण मुनि के द्वारा भस्म किये जाने वाले अपने पति का उसने मुनि की क्रोधाग्नि शान्त करके भस्म होने से बचाया था । पद्मपुराण 13. 82-91</p> | <p id="5">(5) इन्द्र लोकपाल की मुनि भक्त रानी । यह सम्यग्दृष्टि थी । आनन्दमाला मुनि की निन्दा करने के कारण कल्याण मुनि के द्वारा भस्म किये जाने वाले अपने पति का उसने मुनि की क्रोधाग्नि शान्त करके भस्म होने से बचाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 13. 82-91 </span></p> | ||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
(1) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में मेघपुर नगर के राजा धनंजय की रानी और धनश्री की जननी । महापुराण 71.252-253, हरिवंशपुराण 33. 135
(2) जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र की वीतशोका नगरी के राजा वैजयन्त की रानी । इसके संजयन्त और जयन्त दो पुत्र थे । महापुराण 59.101-110, हरिवंशपुराण 27.5-6
(3) एक आर्यिका । यह पंचमकाल के साढ़े आठ माह शेष रहने पर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अन्तिम दिन स्वाति नक्षत्र में देह त्याग कर स्वर्ग में उत्पन्न होगी । महापुराण 76.432-436
(4) राजा सर्वसुन्दर की रानी और पद्मावती की जननी । पद्मपुराण 8.103
(5) इन्द्र लोकपाल की मुनि भक्त रानी । यह सम्यग्दृष्टि थी । आनन्दमाला मुनि की निन्दा करने के कारण कल्याण मुनि के द्वारा भस्म किये जाने वाले अपने पति का उसने मुनि की क्रोधाग्नि शान्त करके भस्म होने से बचाया था । पद्मपुराण 13. 82-91