सहस्राम्र: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) मलय देश के भद्रिलपुर नगर का एक वन । तीर्थंकर नेमिनाथ ने इसी वन में दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 59.112, पांडवपुराण 22.45</p> | <p id="1"> (1) मलय देश के भद्रिलपुर नगर का एक वन । तीर्थंकर नेमिनाथ ने इसी वन में दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 59.112, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22.45 </span></p> | ||
<p id="2">(2) अयोध्या नगरी का एक वन । यहाँ मुनिराज विमलवाहन का एक हजार मुनियों के साथ आगमन हुआ था । राजा मधु और उसके भाई कैटभ ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 43.200-202 </p> | <p id="2">(2) अयोध्या नगरी का एक वन । यहाँ मुनिराज विमलवाहन का एक हजार मुनियों के साथ आगमन हुआ था । राजा मधु और उसके भाई कैटभ ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 43.200-202 </span></p> | ||
<p id="3">(3) अरिष्टपुर नगर का वन । रानी सुमित्रा के पति राजा वासव मुनि सागरसेन से यहाँ दीक्षित हुए थे । हरिवंशपुराण 60.76-85 </p> | <p id="3">(3) अरिष्टपुर नगर का वन । रानी सुमित्रा के पति राजा वासव मुनि सागरसेन से यहाँ दीक्षित हुए थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.76-85 </span></p> | ||
<p id="4">(4) पुष्करार्ध द्वीप में सुकच्छ देश के क्षेमपुर नगर का वन । क्षेमपुर के राजा नलिनप्रभ ने अनन्त मुनि से धर्मोपदेश सुनकर इनी वन में दीक्षा ली थी । महापुराण 57.2, 8</p> | <p id="4">(4) पुष्करार्ध द्वीप में सुकच्छ देश के क्षेमपुर नगर का वन । क्षेमपुर के राजा नलिनप्रभ ने अनन्त मुनि से धर्मोपदेश सुनकर इनी वन में दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 57.2, 8 </span></p> | ||
<p id="5">(5) भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश का वन । यहाँ तीर्थंकर शान्ति नाथ ने दीक्षा ली थी । महापुराण 63. 342, 470, 476</p> | <p id="5">(5) भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश का वन । यहाँ तीर्थंकर शान्ति नाथ ने दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 342, 470, 476 </span></p> | ||
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
(1) मलय देश के भद्रिलपुर नगर का एक वन । तीर्थंकर नेमिनाथ ने इसी वन में दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 59.112, पांडवपुराण 22.45
(2) अयोध्या नगरी का एक वन । यहाँ मुनिराज विमलवाहन का एक हजार मुनियों के साथ आगमन हुआ था । राजा मधु और उसके भाई कैटभ ने इन्हीं से दीक्षा ली थी । हरिवंशपुराण 43.200-202
(3) अरिष्टपुर नगर का वन । रानी सुमित्रा के पति राजा वासव मुनि सागरसेन से यहाँ दीक्षित हुए थे । हरिवंशपुराण 60.76-85
(4) पुष्करार्ध द्वीप में सुकच्छ देश के क्षेमपुर नगर का वन । क्षेमपुर के राजा नलिनप्रभ ने अनन्त मुनि से धर्मोपदेश सुनकर इनी वन में दीक्षा ली थी । महापुराण 57.2, 8
(5) भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश का वन । यहाँ तीर्थंकर शान्ति नाथ ने दीक्षा ली थी । महापुराण 63. 342, 470, 476