सिद्धशिला: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> नेमिनाथ के समय में राजगृहनगर की इस नाम की एक शिला । तीर्थङ्कर गिरिनार पर्वत पर भी इन्द्र द्वारा वज्र से उकेरकर ऐसी शिला निर्मित की गयी थी । ऐसी ही एक सम्मेदशिखर पर भी थी जिस पर तपस्या करके बीस तीर्थंकर मोक्ष गये । महापुराण 54.269-273, हरिवंशपुराण 60. 36-37, 65.14</p> | <p> नेमिनाथ के समय में राजगृहनगर की इस नाम की एक शिला । तीर्थङ्कर गिरिनार पर्वत पर भी इन्द्र द्वारा वज्र से उकेरकर ऐसी शिला निर्मित की गयी थी । ऐसी ही एक सम्मेदशिखर पर भी थी जिस पर तपस्या करके बीस तीर्थंकर मोक्ष गये । <span class="GRef"> महापुराण 54.269-273, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 36-37, 65.14 </span></p> | ||
Line 5: | Line 5: | ||
[[ सिद्धशासन | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ सिद्धशासन | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ सिद्धसाधन हेत्वाभास | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] |
Revision as of 21:48, 5 July 2020
नेमिनाथ के समय में राजगृहनगर की इस नाम की एक शिला । तीर्थङ्कर गिरिनार पर्वत पर भी इन्द्र द्वारा वज्र से उकेरकर ऐसी शिला निर्मित की गयी थी । ऐसी ही एक सम्मेदशिखर पर भी थी जिस पर तपस्या करके बीस तीर्थंकर मोक्ष गये । महापुराण 54.269-273, हरिवंशपुराण 60. 36-37, 65.14